आलू की खेती कैसे करें (पूरी जानकारी)
हमारे देश में आलू की खेती अच्छे पैमाने पर की जाती है, आलू पैदा करने वाले प्रदेशों में मुख्यता: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात पंजाब असम व मध्य प्रदेश है। आलू की खेती करने वाले राज्य में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान रहा है, आलू की खेती के बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। आलू के कुल क्षेत्रफल का 35.5 % तथा कुल उत्पादन 41.1% आलू पैदा किया जाता है।
खेत का चयन एवं तैयारी कैसे करें
किसान आलू की अच्छी पैदावार के लिए जल निकास वाली समतल एवं अधिक उर्वरायुक्त बलुई दोमट तथा दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है। भूमि में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
खेत की जुताई 2 से 3 बार करके छोड़ दे। अच्छी फसल लेने के लिए बोने से पहले पलेवा करना आवश्यक है। बोने से पहले आवश्यकतानुसार जुताई करें एवं पाटा चला कर खेत को समतल कर ले।
खाद एवं उर्वरक
खाद एवं उर्वरक परीक्षणों के अनुसार आलू की अच्छी पैदावार के लिए सामान्यतः 180 किलोग्राम नाइट्रोजन, 100 किलोग्राम पोटाश व 80 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता पड़ती है। जमीन में लोहा जस्ता जैसे सूचना तत्वों कमी है तो 50 किलोग्राम फेरस सल्फेट 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरकों के साथ बुवाई से पहले खेत में डाल देना चाहिए।
आलू बुवाई का समय
भारत में जहां पाला पड़ना आम बात है आलू को बढ़ने के लिए समय कम मिलता है इसके लिए अगेती फसल 15 सितंबर के आसपास हो ही जाती है। और 70 से 80 दिन में खोद ली जाती है। मुख्य फसल की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर का समय उचित रहता है।
आलू बीज की मात्रा
आलू के बीज रोग रहित शुद्ध बीज हमेशा विश्वसनीय जगहों एवं विशेषकर सरकारी संस्थानों बीज उत्पादन एजेंसियों से ही प्राप्त करना चाहिए। आलू बुवाई के लिए लगभग 40 से 50 ग्राम का वजन वाले अच्छे अंकुरित बीज का प्रयोग करें। आलू एक हेक्टेयर फसल बोने के लिए 30 से 35 कुंतल (35 से 40 ग्राम) या (3.5 से 4.0 सेमी.) आकार वाले पर्याप्त होते हैं।
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कैसे करें
बुवाई की विधि
बुवाई करते समय निम्न बातों का हमेशा ध्यान रख कर के बुवाई करें। आलू की पंक्तियों की दूरी 60 सेमी रखें तथा कंद से कंद की दूरी बीज आलू के आकार के अनुसार समायोजित की जा सकती है। 20, 40, 60, एवं 80 ग्राम आकार वाले बीज कंदो को 15, 20, 30 एवं 40 सेमी. की दूरी पर रखकर आलू को 8 से 10 सेमी. गहराई मे बो दिया जाता है। जिससे अंकुरण के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे।
खरपतवार रोकथाम एवं मिट्टी चढ़ाना
आलू के खेत में कभी खरपतवार ना उगने दे आलू बुवाई के 20 से 25 दिन के बाद पौधे 8 से 10 सेंटीमीटर ऊंचाई के हो जाए तो लाइनों के बीच खुरपी, कुदार के माध्यम से खरपतवार निकालने का कार्य करें। उसके बाद पंक्तियों को गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ा दे।
खरपतवार अगर ज्यादा हो तो रासायनिक नियंत्रण के द्वारा खरपतवार नासी रसायनों का पानी में दवा घोलकर आवश्यकता अनुसार दवा की दुकान से संपर्क करके छिड़काव करना चाहिए।
सिंचाई
आलू की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 7 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुवाई के 8 से 10 दिन बाद पहली सिंचाई करें। सिंचाई करते समय ध्यान रखें आलू की मेडे दो तिहाई से अधिक ना डूबने पाए आलू की दूसरी सिंचाई बुवाई के 20 से 22 दिन बाद तथा तीसरी सिंचाई मिट्टी चढ़ाने के तुरंत बाद अथवा के लगभग 4 सप्ताह बाद करें। अंतिम सिंचाई खुदाई के लगभग 10 दिन पूर्व करें।
खुदाई
आलू खुदाई अगेती फसल अधिक कीमत पाने के लिए बुवाई के 60 दिनों के दौरान खुदाई की जा सकती है। लंबी अवधि वाली किस्में अधिक उपज देती है जैसे शंकर किस्मों से अधिक पैदावार मिलती है।
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👉 नमस्कार दोस्तों यह आर्टिकल किसान के अधिक उपज एवं रोग के रोक थम के लिए शाहेक हो सकता है आगर आर्टिकल अच्छा लगा हो तो दोस्तों के पास शेयर करे ।