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Sarpagandha ki Kheti | सर्पगंधा की खेती कैसे करें: पूरी जानकारी

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    Sarpagandha ki Kheti- सर्पगंधा यह हमेशा हरा रहने वाला 75 सेंटीमीटर से 1 मीटर ऊंचाई वाला झाड़ीनुमा पौधा है। इसकी जड़े 0.5 से 2.5 सेंटीमीटर गोलाकार होती है। इनमें शाखाएं भी होती हैं। यह जमीन में 40 से 7 सेंटीमीटर गहराई तक जाती हैं।

    प्रयोग अंग – जड़ एवं पत्तियां।

    इस आर्टिकल में सर्पगंधा की खेती के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। प्राचीन काल से ही जड़ी बूटियो का महत्त्व रहा है। पहले हिमालय एवं जंगलों में औषधियों को ढूंढ ढूंढ कर औषधियां बनाए जाते थे। आज के बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए, जड़ी बूटियों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। और इससे किसानों के आय कई गुना मुनाफा होता है। इस लेख में खेती और उसके फायदे के बारे में जानकारी दी गई है।

    औषधीय गुण एवं प्रयोग

    सर्पगंधा उच्चरक्तचाप के लिए यह विश्वास नहीं है दवा है। इनके जड़े स्वाद में तीखे अम्लीय दुधारू थर्मोजेनिक,एंथेलमिनिटक, एवं डाइयूरैटिक होती है। जो हल्का नशा भी कर सकती हैं इसका उपयोग अनिद्रा हिस्टीरिया बुखार गिड्डीनैस उन्माद में भी किया जाता है। इनके पत्तों का रस आंख के कारण या के इलाज में उपयुक्त होता है।

    सर्पगंधा की खेती के लिए उपयुक्त भूमि एवं जलवायु

    सर्पगंधा इसके अच्छी पैदावार के लिए अम्लीय मिट्टी अच्छी होती है। जल निकासी की उत्तम व्यवस्था हो। व्यापार उत्पादन के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवास प्रचुर मात्रा में उपयुक्त होती हैं।

    सर्पगंधा जड़ों के टुकड़ों द्वारा

    गर्मियों में 5 सेंटीमीटर लंबे जड़ों के टुकड़े गोबर की खाद बालू एवं लकड़ी का बुरादा मिलाई गई हो नर्सरी की क्यारियों में बोए जाते हैं। इन के टुकड़े 3 सप्ताह में अंकुरित होने लगते हैं। वर्षा ऋतु में यह पौधे 8 से 10 बरसात होने के बाद खेतों में लगाए जा सकते हैं। पौधों का प्रत्यारोपण 45 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाई गई लाइनों में पौधे से पौधों की दूरी 30 सेंटीमीटर रख कर किया जाता है।

    सर्पगंधा तने के टुकड़ों द्वारा

    जून के महीने में लगभग 15 से 22 सेंटीमीटर लंबे तने के कठोर कष्ठीय टुकड़े नमी युक्त नर्सरी की क्यारियों में बोए जाते हैं। अंकुर आने के समय यह पौधे 30 × 45 सेंटीमीटर दूरी पर खेतों में लगाए जा सकते हैं।

    सर्पगंधा जड़ों द्वारा

    सिंचाई सुविधा वाले खेतों में लगभग 5 सेंटीमीटर लंबे जड़े जिसके ऊपर तने का हिस्सा भी हो सीधे खेत में लगा सकते हैं।

    शतावरी की खेती की पूर्ण जानकारी

    सर्पगंधा बीजारोपण द्वारा

    सर्पगंधा के बीज अंकुरण क्षमता केवल 5 से 30 प्रतिशत तक होती है। हल्की और भारी बीज पानी में डालकर आसानी से अलग की कर लिए जाते है। भारी बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर मई-जून में बोने से लगभग 20 से 40 प्रतिशत एवं ताजा भारी बीजों को बोने से 60 प्रतिशत अंकुरण हो सकता है। एक हेक्टेयर पौधे के लिए 6 किलोग्राम बीज उपयुक्त होता है।

    हल्की छाया में एक तिहाई गोबर एवं पत्तों की खाद तथा दो तिहाई बलुई दोमट मिट्टी मिलाकर 10 वर्ग मीटर की क्यारी कुछ ऊंचाई पर बनाई जाती हैं। 1 एकड़ भूमि की खेती के लिए लगभग 500 वर्ग मीटर की क्यारी में बीज उगाए जा सकते हैं। अप्रैल माह के अंत में बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन में पतली नालियों में बोना चाहिए। इसके बाद नालियों को मिट्टी एवं गोबर की खाद से भर देना चाहिए। क्यारियों को नम रखने के लिए हल्का पानी देते रहना चाहिए। 15 से 20 दिन मैं अंकुरण शुरू हो जाता है। और 30 से 40 दिन तक होते रहते हैं। जुलाई के मध्य तक पौधा प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो जाती है। यह पौधे 45 सेंटीमीटर की दूरी तक बनाई गई लाइनों में 30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं।

    खाद एवं उर्वरक

    भूमि की तैयारी के लिए 20 से 25 क्विंटल गोबर की खाद प्रति एकड़ की आवश्यकता अनुसार दी जाती है।

    सिंचाई

    गर्मियों में 20 दिनों के अंतर पर एवं सर्दियों में 30 दिन के अंतर पर 15 से 16 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

    Sarpagandha ki Kheti की उपज

    जलवायु के आधार पर 18 महीने पुरानी फसल सबसे अच्छी उपज देती है। साधारणतः 15 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सुखी कंद पैदा होती है। जो सिंचाई भूमि और उर्वरता आदि पर निर्भर करती है।

    लागत और फायदा

    सर्पगंधा के फायदे एवं प्रयोग करने की विधि

    सर्पगंधा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो कई बीमारियों में फायदेमंद होते हैं। यह कई बीमारियों जैसे अनिद्रा हिस्टीरिया और तनाव जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है।

    सर्पगंधा आयुर्वेदिक औषधियां तथा अंग्रेजी में इसे स्पेटिन तथा स्नेक रूट कहते हैं। इसके पत्तियों का रंग हरा और फूल का रंग सफेद होता है जब की जड़ों का रंग सफेद होता है इसका इस्तेमाल सांप काटने पर दवा के रूप में होता है। इसलिए इसे सर्पगंधा कहते हैं। इसके सेवन से अनिद्रा तनाव हिस्टीरिया जैसी बीमारियों में आराम मिलता है।

    Sarpagandha ki Kheti की तनाव दूर करने में सहायक

    सर्पगंधा के अर्क या रस के सेवन से तनाव में लाभ मिलता है। सेवन के पश्चात डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही प्रयोग करें। इसमें एनटीआर साइड के गुण विद्यमान होते हैं। कोई भी आवश्यक कितनी मात्रा में लेना है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार दवा ले।

    ✍️ आज के समय में बढ़ती हुई जनसंख्या, बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए। हमारे समाज में बहुत से लोग नौकरी की तलाश में बेरोजगार बंद कर अपने समय को बर्बाद कर देते है। हेलो दोस्तों हमारे इस Quickview05.com में मोटिवेशनल, कोट्स, कृषि, बिजनेस आइडिया के बारे में बहुत से प्रेरक और उत्साहित करने वाले आर्टिकल मिलेंगे। शायद हो सकता है कुछ आपके काम आ सकते हैं। कृपया एक बार वेबसाइट पर नजर डालें। नमस्कार !


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