मटर की खेती कैसे करें | Pea Farming in India by Quickview05.com

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Pea Farming

प्रोटीन की धनी सब्जियों में हरा मटर का महत्वपूर्ण स्थान है। मटर कम समय में अधिक पैदावार देने वाली फसल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश में विशेषकर हरी फलों के लिए की जाती है मटर सूखने के बाद उसका प्रयोग दलहन के रूप में किया जाता है। मटर में अनेक प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है जो मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। मटर की खेती करके उसकी कच्ची हरी फलियां तोड़कर मार्केट में अच्छा मुनाफा देता है जिसे किसान की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। सूखे हुए दानों से लंबे समय भंडारण करके उसको दलहन के रूप में प्रयोग किया जाता है, दलहन का उपयोग 12 महीने उपयोग में आने वाली खाद्य सामग्रियों में से एक है। आज इस आर्टिकल में मटर की खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है।

मटर की उन्नत किस्में

प्रजाति का नामबुवाई का समयबीज की मात्रा
किग्रा./ हे.
उत्पादन
कु./हे.
अगेती किस्मअक्टूबर से नवंबर150 से 16050 से 60
मध्य एवं पिछेती किस्मेंअक्टूबर से नवंबर100 से 12060 से 125

अगेती किस्में – अर्किल, अगेता-6, पंथ सब्जी मटर- 3, आजाद P-3,

मध्य एवं पिछडे की किस्में- आजाद P-1, जवाहर मटर-1, बोनेविले,

खाद एवं उर्वरक

गोबर की सड़ी हुई खाद, खेत तैयारी के समय मिट्टी में भलीभांति मिला देना चाहिए। पैदावार अच्छी लेने के लिए नाइट्रोजन 40 – 50 किलोग्राम, फास्फोरस 50 किलोग्राम तथा पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक होता है। फास्फोरस एवं पोटाश आधा नाइट्रोजन बुवाई के समय तथा शेष नाइट्रोजन बुवाई के 25 – 30 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना चाहिए।

भूमि का चयन एवं तैयारी कैसे करें

मटर की खेती विभिन्न प्रकार के मृदाओ में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली दोमट एवं बलुई भूमि सर्वोत्तम है। खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई, उसके बाद 4-4 जुताई करके पाटा चलाकर खेत समतल कर लेना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।

बुवाई के समय

मटर की बुवाई करने का समय मध्य अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है। मटर की फसल खरीफ की फसल की कटाई पर निर्भर करती है। मटर की उपयुक्त बुवाई का समय अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह अच्छा माना जाता है।

बुवाई की विधि- सब्जी वाली मटर को 20 – 25 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में बोना चाहिए।

सिंचाई

मटर की सिंचाई कम पानी चाहने वाली फसल है। लेकिन इसकी बुवाई पलेवा करके करनी चाहिए। बुवाई के समय पर्याप्त नमी होना चाहिए। मटर की फसल में साथ फूल आने की अवस्था तथा फलियों में दाने पड़ने की अवस्था में खेत में उचित नमी होना अत्यंत आवश्यक है। आवश्यकता अनुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार फसल के पोषक तत्वों को ग्रहण कर फसल को कमजोर बना देते हैं। और पैदावार में हानि पहुंचाते हैं। फसल को शुरुआती दौर में खरपतवार को नियंत्रण करना चाहिए। ताकि फसल कमजोर ना हो। फसल की प्रारंभिक अवस्था में हल्की निराई गुड़ाई करके खरपतवार को खेत से निकाल देना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण में देर करने से मटर की उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

फसल सुरक्षा

एस्कोकाइटा ब्लाइट

इस रोग से प्रभावित पौधे मुरझा जाते हैं। जड़े भूरी हो जाती है तथा पत्तियों एवं तनो पर भूरे धब्बे पड़ जाते हैं।

संक्रमित पौधों पर बैविस्टीन 50 डब्लू. पी. 50 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी का छिड़काव तुरंत लक्षण तुरंत लक्षण देखते ही कर दे।

नियंत्रण- बीज को बैविस्टीन 50 डब्लू. पी. 20 ग्राम पंच 10 किलोग्राम बीज से उपचारित करें।

फ्यूरिम बिल्ट

इस रोग से मटर के पेड़ की जड़े सड़ जाती है तथा पौधे बिना पीले हुए मुरझा जाते हैं।

नियंत्रण- बीज को बोलने से पहले बैविस्टीन 50 डब्लू. पी. 50 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी मैं 2 घंटे के लिए भिगोए तथा छाया में सुखाएं।

अधिक संक्रमित क्षेत्रों में अगेती बुराई ना करे।

बैक्टीरियाल ब्लाइट

किस रोग से भूरे रंग का पनीले धब्बे जड़ों, तनो, शाखाओं के जड़ों, फलियों तथा पत्तियों के किनारे पर पड़ जाते हैं। रोग के जल्दी प्रकोप से पौधे पूरी तरह से मुरझा जाते हैं

नियंत्रण- बुवाई के पहले बीज को 2 ग्राम थाइरम तथा 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लीन के मिश्रण से प्रति किलोग्राम 20 की दर से शोधित करें।

पौधे सूखने की समस्या आ रही हो तो वहां पर ऊपर लिखे स्ट्रैप्टोसाइक्लीन घोल के साथ बैविस्टीन 50 डब्लू. पी. 5 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में बीज का उपचार एक ही साथ कर ले। फली की

फली की तुडाई

मटर के फूल आने पर सामान्यतया 3 सप्ताह में फलियां तोड़ने योग हो जाती है। फलियां तैयार होने का समय फसल की देखभाल, मृदा के प्रकार एवं उगाई गई किस पर निर्भर करता है। सामान्यता: 7 से 10 दिन के अंतर पर फलियों की 3 – 4 तुड़ाई की जाती है।

नोट -यह आर्टिकल किसानों के खेती के सहयोग के कार्य में हेल्पफुल साबित होगा क्या आर्टिकल आपको पसंद जरूर आया होगा। लाइक करें कमेंट करें धन्यवाद।


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