मेहमान एवं बच्चों के प्रति व्यवहार | Behaviour toward Guests

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मेहमान के प्रति व्यवहार

दोस्तों अपने घर में संस्कार बच्चों को किस तरह हम दे रहे हैं और वे कैसा व्यवहार करते हैं, यह घर के परिवार और अभिभावक पर पूरी तरह से निर्भर है। जैसा विचार हमारा होगा वैसा ही विचार बच्चों का होगा। बच्चों को श्रेष्ठ विचार देने से पहले, अपना विचार श्रेष्ठ होना चाहिए। अच्छे आदत से चरित्र बनता है।
अतिथि का सत्कार हमारे भारतीय संस्कृति की पहचान है।
अच्छे मेहमान घर की शोभा और दिल की खुशी बढ़ाते हैं।

अच्छे विचार

  • कोई अतिथि हमारे स्थान के विपरीत व्यवहार कर बैठे तो उस पर हंसो मत।
  • भोजन या जलपान के समय कोई अतिथि विद्वान सन्यासी आ जाए तो हो सके तो उनसे भी भोजन करने की प्रार्थना करो।
  • भोजन से पहले मेहमान को यह बतला देना अच्छा है कि घर में जल कहां मिलेगा और बाथरूम का स्थान कहां है।
  • जब कोई अतिथि हमारे यहां भोजन करें तो उचित यही है कि हम अपने हाथ से भोजन परोसे और उनके भोजन कर लेने के उपरांत खाएं। उसे पहले ही खा लेना किसी हालत में ठीक नहीं। उनके साथ भोजन करें तो पहले उनके सामने भोजन रखना चाहिए। खा लिया छोटी बड़ी हो तो बड़ी थाली उनके और छोटी अपने सामने रखनी चाहिए।
  • मेहमान के साथ बैठकर खाने में जल्दी मत करो धीरे-धीरे उनका साथ दो। पहले खा लो तो उस समय तक बैठे रहो जब तक सब ना उठे। जल्दी उठो तो आज्ञा ले लो और अपनी जूठी थाली या पत्तल दूर हटा दो जिसे खाने वाले को घृणा ना मालूम हो।
  • किसी ऐसे आस्थान में जाएं जहां हमारा आदर सत्कार हो और हमारे साथ कोई मित्र या अतीत हो तो उसको भूल ना जाना चाहिए उसको भी यथासंभव अपने आदर सत्कार में शरीक करना चाहिए।

पढ़ें- अपने चरित्र के साथ बच्चों के चरित्र को उत्तम कैसे बनाएं?

बच्चों के प्रति व्यवहार

आज हम बच्चों के प्रति कुछ जरूरी टिप्स देंगे, जो बच्चों को अच्छी आदत एवं व्यवहार उनके उत्तम चरित्र में सहायक होगा। हमें अपनी नौकरी के साथ-साथ बच्चों पर विशेष कर ध्यान देना चाहिए। बच्चे हमारे देश के कर्णधार है।

अच्छे विचार

  • भारतीय संस्कृति में बच्चों के सुंदर और प्यारे नाम रखने चाहिए।
  • किसी मित्र या रिश्तेदार के घर जाओ तो उनके बच्चों को अपने प्यार का परिचय दो।
  • बच्चों को मत रुलाओ। रोते बच्चे को प्यार से उठाकर सीटी या बाजा बजा कर या किसी अन्य प्रकार से उसका मन बहला कर उसे चुप करा दो, डरा कर चुप मत कराओ। जिस घर में बच्चे रोते रहते वह घर सदा सुखी नहीं रह सकता।
  • बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाओ जिनसे उनमें उत्साह और कुछ करने का जज्बा पैदा हो। उनके हृदय में ईमानदारी दया विनम्रता अपने उच्च शिक्षा से जग में नाम रोशन करने का सामर्थ्य पैदा हो।
  • बच्चों को मेला, तमाशा, सभा, सोसाइटी, प्रदर्शनी, ऐतिहासिक प्राकृतिक शोभा के स्थान दिलाते रहना चाहिए।
  • बच्चों के अंदर भय पैदा करना उन को नीचा दिखाना, अपमानित करना या मारना बुरा है, बुरी लड़की भी बिना मारे सुधर सकते हैं सुधारने वाला चाहिए।
  • बच्चों को ऐसी आदत डालो की सोकर रोते हुए ना उठे हंसते हुए उठे।
  • बच्चों को “तू” मत कहो “तुम” कहो। “आप” कहना तो और भी अच्छा है। इससे उनको आप कहने की आदत बचपन में ही पड़ जाएगी।
  • भूत प्रेत की दूसरे डराने वाली कहानियां बच्चों को मत सुनाओ।
  • बच्चों को पहले भोजन दो, सबसे छोटे बच्चों से शुरू करो।
  • छोटे बच्चों को पैसा नहीं देना चाहिए। उनके हाथ में पैसा आ जाए तो ध्यान रखो कि उससे वह मुंह में ना डालें क्योंकि मुंह में डाला हुआ सिक्का कभी गले में फंस जाता है।
  • बच्चों को पैसा मांगने की आदत नहीं डालनी चाहिए।
  • बचपन से बच्चों को अच्छे आदत अच्छे संस्कार उच्च शिक्षा की तरफ ध्यान देना चाहिए तभी हमारे बच्चे आदर्श एवं आज्ञाकारी होंगे।
  • माचिस आलपीन आदि बच्चों के हाथ में ना जाने दो माचिस से खेलते – खेलते बच्चों की जान खतरे में पड़ जाती है।

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