टमाटर (Tomato) बहुत ही लोकप्रिय सब्जी है इसके बिना व्यंजन अधूरा रहता है ─टमाटर की खेती पहाड़ी इलाकों के लिए मार्च से अप्रैल महीना टमाटर की खेती के लिए बेहतर होता है अन्य क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन फसल के लिए नवंबर-दिसंबर का महीना व शरदकालीन फसल के लिए जुलाई से सितंबर का महीना बेहतर होता है। देश के लाभ सभी प्रांतों में टमाटर की खेती की जाती है
टमाटर का उपयोग
टमाटर का उपयोग सलाद,सॉस, सूप, चटनी, बहुत सी सब्जियों में मिलाकर बनाया जाता है चिकन, मछली बहुत से व्यंजन में इसका प्रयोग होता है इसमें बहुत से विटामिन प्रचुर मात्रा में मिलता है। जैसे -प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, निकोटेनिक अम्ल, खनिज पदार्थ मिलते हैं।
टमाटर की उन्नत किस्म की प्रजातियां
टमाटर की प्रजातियां | बीज की मात्रा (ग्राम/हे.) | पाक ने की अवधि (दिनों में) | उपज (कु./हे.) |
काशी अनुपम | 450─500 | 75─80 | 500 |
काशी अमृत | 450─500 | 75─80 | 400─450 |
काशी | 450─500 | 80─85 | 450 |
पूसा | 450─500 | 90 | 300─350 |
स्वर्ण वैभव | 300─350 | 55─60 | 700─800 |
रूपाली | 300─350 | 80─85 | 450─500 |
अविनाश 2 | 300─350 | 85─90 | 600─700 |
बुवाई का समय
मुख्य रूप से दो फसल की जाती है
1. बरसात की फसल जून-जुलाई में नर्सरी तैयार करते हैं अगस्त महीने में रोपाई किया जाता है, फल अक्टूबर-नवंबर में तैयार होना शुरू हो जाता है।
2. जाड़े की फसल ठंडक माह अक्टूबर में नर्सरी तैयार किया जाता है। शंकर किस्म का फसल लगाना ज्यादा लाभप्रद होता है फल जनवरी से लेकर अप्रैल तक तैयार मिलता है।
उपयुक्त मिट्टी की चयन
टमाटर को लगभग अलग-अलग मृदा, भूमि में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसके लिए बलुई, दोमट, चिकनी कोई भी मिट्टी हो जल निकासी का प्रबंध हो टमाटर के लिए रेतीला मृदा में इसका पैदावार बहुत बढ़िया होता है। भूमि की तीन से चार बार गहरी जुताई करके समतल कर लेना चाहिए।
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खाद एवं उर्वरक की मात्रा
सबसे अंतिम जुताई करते समय सड़ी हुई गोबर की की खाद मिला देना चाहिए। रोपड़ के समय 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर तत्व के रूप में देना चाहिए ताकि मृदा शक्ति प्रचुर मात्रा में बरकरार रहे।
पौधा तैयार करना
पौधों को तैयार करने के लिए क्यारी तैयार कर लेनी चाहिए क्यारी 15 से 20 सेंटीमीटर उथली क्यारी होनी चाहिए। क्यारी की लंबाई आवश्यकता अनुसार रखना रखें। बीज को जमीन में 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर के गहराई में बोलते हैं। बुवाई के बाद ऊपरी सतह पर गोबर की सड़ी हुई खाद पतली सतह में बिछा कर समतल कर देते हैं, ठंड तेज बरसात, धूप आदि से बचाने के लिए घास फूस से ढक देते हैं। जब जब बीज अंकुरित होकर दिखने लगता है तो घास फूस को हटा देते हैं। पौधा 1 सप्ताह हो जाने के बाद bavistin दवा की 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर कि दर से छिड़काव करना चाहिए
शंकर किस्मो के पौधों पर कभी-कभी पत्तियों में सुराग बनाने वाले कीट का प्रकोप हो जाता है। इसके नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटफ्स दवा की तू मिली मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी पर छिड़काव करना चाहिए।
खेत की तैयारी
खेत को तीन बार जताई करके समतल कर लेना चाहिए।
रोपाई विधि
पौधारोपण करने के लिए क्यारी उचित एरिया में बना ले नर्सरी में जब पौधे 5 से 6 पत्ती के हो जाएं या पौधे की ऊंचाई 15 से 20 सेंटीमीटर की हो तब उनको रोपड़ के लिए उपयुक्त समझा जाता है। प्रोफाइल होने के बाद में हल्की सिंचाई कर देते हैं जिससे पौधा अच्छी तरह से लग जाए बरसात की फसल की रोपाई ऊंचे थाले या मेडो के ऊपर करना अच्छा रहता है पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर या 45 सेंटीमीटर रखी जाती है जबकि पैदावार वाली किस्मों के लिए पंक्तियों से पंक्ति की दूरी अच्छी होनी चाहिए।
सिंचाई
प्रथम सिंचाई रोपाई के बाद की जाती है आवश्यकता अनुसार उसकी सिंचाई खेत को देखने इसके अनुसार करना चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
टमाटर की फसल की गुड़ाई करना आवश्यक होता है पहले गुड़ाई 20 से 25 दिन बाद तथा दूसरी गुड़ाई 40 से 45 दिन बाद निराई गुड़ाई की जानी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए दवा का छिड़काव भी करके खरपतवार नष्ट कर सकते हैं। जोकि कीटनाशक दवा की दुकान पर आपको उपलब्ध मिलेंगे।
पत्तीमोड़ विषाणु रोग
यह बीमारी जो सफेद मक्खी के द्वारा फैलती है रोग ग्रस्त पौधों की पत्तियां सिकुड़ कर मुड़ जाते हैं पत्तियां खुरदरी और मोटी हो जाती है।
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नियंत्रण
- रोगी पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
- मोनोक्रोटोफास (नुवाक्रान) दवा की मात्रा प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव किया जाता है।
अगेती झुलसा
पुरानी पत्तियों पर छोटे-छोटे गोल काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं पत्तियां पीला पढ़कर के सूख जाता है
नियंत्रण
- कीटनाशक दवा की दुकान, या कृषि रक्षा इकाई से संपर्क करें।
- कॉपरऑक्सी क्लोराइड 3 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें
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