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बैंगन की खेती कब और कैसे करें | बैंगन की उन्नत किस्में| Brinjal Farming in Hindi

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    बैंगन की खेती

    हमारे भोजन में बिना सब्जी के व्यंजन अधूरा होता है। सब्जी हमारे भोजन को स्वादिष्ट एवं चटपटा बनाता है। बहुत सी सब्जियों में एक सब्जी बैंगन है जो बहुत लोकप्रिय सब्जी है। बैगन देश के विभिन्न भागों में विविध प्रकार की सब्जी, भारता, कलौंजी आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है।

    उन्नत किस्मों के बीज

    बैगन की प्रजातियांबीज की मात्रा
    (ग्राम/हे.)
    पकने की अवधि
    (दिनों में)
    उपज
    (कु./हे.)
    1.लंबे फल वाली किस्में
    आई. वी. बी. एल.9400-50060-65350
    पंत सम्राट400-50065-70300
    2. गोल फल वाली किस्में
    पंत ऋतुराज400-50060400
    बी. आर.14400-50065-70400
    के. एस.224400-50065-70350
    3. हरे रंग के फल वाली किस्में
    सम्राट जॉइंट400-50070250-300
    संकर किस्म के बैंगन
    पूसा हाइब्रिड-5300-40055-60600-700
    गोल फसल वाली किस्में
    काशी संदेश300-40065-70600-700
    पूसा हाइब्रिड-6300-40065-70450-500

    बैंगन बुवाई का समय

    शरद कालीन फसल- बैंगन की फसल की बुवाई शरद कालीन में मई-जून में नर्सरी तैयार करते हैं रोपाई का समय जून-जुलाई में करते हैं।

    ग्रीष्मकालीन फसल- बैंगन की फसल की बुवाई ग्रीष्मकालीन में नवंबर-दिसंबर में नर्सरी तैयार करते हैं रोपाई का समय दिसंबर-जनवरी में करते हैं।

    वर्षा कालीन फसल– बैंगन की फसल की बुवाई वर्षा कालीन में मार्च-अप्रैल में नर्सरी तैयार करते हैं रोपाई का समय अप्रैल-मई किया जाता है।

    खेत का चयन

    बैंगन की खेती को सभी प्रकार की जमीनों पर उगाया जा सकता है। जमीन दोमट मिट्टी की हो तो उसमें अच्छी उपज मिलती है। खेत को तीन चार बार अच्छी प्रकार से जुताई कर ले।

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    खाद एवं उर्वरक का प्रयोग कब करें?

    इसकी की खेती से अधिक उपज के लिए खेत की अंतिम जुताई करते समय सड़ी हुई गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में मिला देना चाहिए। इसके अलावा 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से तत्व के रूप में देना चाहिए। नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा रोपण के समय में दी जाए।

    नर्सरी तैयार कैसे करें?

    बैंगन के पौधों को तैयार करने के लिए ऊंची जगह का चुनाव करके उसकी तीन चार बार जुताई करके सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दे। क्यारी में एक से डेढ़ सेंटीमीटर गहराई में बीज बुवाई की जाती है। बीज बोने के बाद क्यारी की सड़ी हुई गोबर की खाद 1 सेंटीमीटर मोटी परत से ढक दिया जाता है। और क्यारी के ऊपर घास फूस बिछा देते हैं बीज अंकुरण के लिए हजारे और फब्बारे से सिंचाई की जाती है। अंकुरण के बाद घास फूस हटा देते हैं।

    बैंगन की रोपाई

    बैंगन के पौधे की रोपाई के लिए सामान्यतः 4 से 6 सप्ताह का समय लगता है। बैंगन के पौधों की रोपाई 75 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी पंक्तियों में 50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपण किया जाता है। अधिक पैदावार बढ़ाने वाली तथा फैलने वाली किस्मों के लिए 90 सेंटीमीटर का अंतराल पर रखा जाता है।

    सिंचाई

    बैंगन के पौधे की रोपाई के पश्चात एक हल्की सिंचाई करें या हजारे के सहायता से पौधों के थालो में दो-तीन दिन तक सुबह-शाम पानी डालें। पौधा जब जमीन से पकड़ ले उसके बाद हल्की सिंचाई कर दी जाती है। गर्म मौसम में 8 से 10 दिन के अंतर पर जबकि सर्दी के मौसम में 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए।

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    खरपतवार नियंत्रण

    इसकी खेती में बरसात के समय में पौधे के आसपास होगे खरपतवार को खुरपी की सहायता से निकाल देना चाहिए। उसके बाद जमीन की गुड़ाई करके 30 से 35 दिन के बाद पौधों के जड़ों पर मिट्टी चढ़ा दें मिट्टी चढ़ा देने से बरसात में अधिक पाने के कारण पौधे गिरते नहीं है।

    रोग नियंत्रण

    फोमोप्सिस अंगमारी

    यह बीमारी बैंगन की प्रमुख बीमारी है,फोमोप्सिस बैकसेन्स नामक कवक के द्वारा होता है। पत्तियों पर नियमित गोल या भूरे रंग के धब्बे बनते हैं

    उपचार

    • नर्सरी तैयार करते समय बीज को बाविस्टीन दवा से उपचारित करें।
    • बार-बार एक ही खेत में बैंगन को ना लगाएं।
    • जैसे हीरो का लक्षण दिखाई दे पौधों पर व्लाइटाक्स-50 या मैंकोजेब दवा की 2.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर 8-10 दिन के अंतर पर छिड़काव करें।

    उकठा रोग

    उकठा रोग का प्रभाव निचली पत्तियों से आरंभ होता है। तने को काटने पर भूरा जमा हुआ पदार्थ दिखाई देता है। रोगग्रस्त सूख जाते हैं।

    • पंत सम्राट, पंजा ऋतुराज, पूसा पर्पल कलस्टर किस्म का बीज चुनाव करें।
    • रोपाई से पहले स्ट्रेप्टोसाइक्लिन दवा की 100 मिलीग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर आधे मिनट तक डुबोकर रोपाई करें।

    कीट नियंत्रण

    इसकी में प्रमुख बीमारी कीट है। सूर्या बैंगन के पौधों को तने एवं पत्तियों के डंठल में घुल जाती हैं और उन्हें अंदर से खाती हैं जिसके फलस्वरूप क्षतिग्रस्त भाग से पौधा सूख जाता है।

    उपचार

    • डेसिस 28 ई.सी.1 मिली दवा प्रति 2 लीटर की दर से पानी में घोलकर 10 दिन के अंतर पर छिड़काव किया जाए।

    बैंगन के फलों की तुड़ाई

    बैंगन की खेती
    बैंगन की खेती

    बैंगन के फलों की तुड़ाई मुलायम अवस्था में करें। तुड़ाई करते समय कीट ग्रस्त एवं रोग से प्रभावित फलों को तोड़ करके उसको नष्ट कर देना चाहिए।

    उपज

    बैंगन के पौधे के रोपाई के 45 से 60 दिन के बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से 350 से 400 कुंतल उपज प्राप्त होती है।

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    FAQ:

    प्रश्न: गोल बैंगन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
    उत्तर: गोल बैंगन की सबसे अच्छी किस्म इंडोअमेरिकन है.

    प्रश्न: बैंगन कितने दिन में फल देने लगता है?
    उत्तर: मुख्य खेत में पौधे की रोपाई के 50 दिन बाद पौधे फल देने लगते हैं.

    प्रश्न: बैंगन की कीमत कितनी है?
    उत्तर: 10 ग्राम बैंगन के बीज की कीमत 90 रूपये से 150 रूपये होती है.

    प्रश्न: बैंगन की पौध कब तैयार की जाती है?
    उत्तर: फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, सितम्बर-अक्तूबर.

    प्रश्न: बैंगन कितने प्रकार के होते हैं?
    उत्तर: बैंगनी रंग, लाल रंग, सफ़ेद रंग, हरा कलर, काला रंग, हल्की गुलाबी रंग, गहरी गुलाबी रंग इत्यादि।


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