मनुष्य के जीवन में चरित्र का विशेष महत्व है, चरित्र का महत्व ज्ञान से है मनुष्य के पास ज्ञान ना होता तो चरित्र का कोई मतलब ही नहीं रहता। हम अपने घर परिवार समाज देश-विदेश में व्यापार और नौकरी करते हैं इन सब में ज्ञान और अच्छे चरित्र (Good Character) का होना एक श्रेष्ठ एवं सफल व्यक्ति की पहचान है। चरित्र कोई वस्तु नहीं जो खरीदने से मिल जाए,अच्छे चरित्र अच्छे विचारों से आता है। सकारात्मक सोच Positive thinking हमें ऊंचाई के शिखर तक ले जाने के साथ-साथ हमें अच्छे चरित्र का भी निर्माण करता है।
मनुष्य का आभूषण चरित्र है। आपके चरित्र पर कोई उंगली ना उठाने पाए अगर ऐसा आप चाहते हैं, तो एक बात हमेशा याद रखें, हर दिन की शुरुआत अच्छी विचारों और सकारात्मक सोच के अनुसार करें, एक दिन यह आपका आदत बन जाएगा। और समाज में मान सम्मान और स्वाभिमान बढ़ जाएगा।
अपने चरित्र के साथ बच्चों के चरित्र को उत्तम कैसे बनाएं?
हमारे दिमाग में दो तरह के ख्याल आते हैं एक अच्छे विचार, दूसरा बुरे विचार यह एक सिक्के के दो पहलू है जब हम अपने आप में दृढ संकल्पित होते हैं कि अपने दिमाग में हम कभी नकारात्मक विचार हावी नहीं होने देंगे और हर कार्य अच्छा करेंगे, अच्छा बोलेंगे, अच्छा व्यवहार करेंगे, किसी को कष्ट नहीं देंगे, अपने साथ-साथ दूसरों का भी ख्याल रखेंगे। समता स्वतंत्रता, बंधुत्व, न्याय और मानवतावादी विचारधारा के रास्ते पर चलना एवं अच्छा सत्कर्म करना यही सब अच्छा चरित्र है।
अच्छे आदत से अच्छे चरित्र का निर्माण होता है
अगर हमें चरित्रवान बनना है तो अपने आदतों को सकारात्मक सोच से जोड़ना होगा अगर आपका चरित्र सही है तो हर जगह सम्मान होगा आपके चाहने वाले लोग होंगे आपका ख्याति और प्रतिभा सब बढ़ेगा।
“चरित्र ही मनुष्य का आभूषण है “
चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का विकास
व्यक्ति के अच्छे चरित्र का निर्माण करने में सबसे बड़ा भूमिका उसके घर का माहौल होता है। क्योंकि स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान मिलता है, बच्चों में अच्छे संस्कार होना इसका श्रेय उनके माता-पिता को जाता है कि उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी तालीम दी है। ऐसे बच्चे राष्ट्र का निर्माण करने में सहायक होते है बच्चे अपना बाल्यावस्था उम्र के बाद किशोरावस्था प्राप्त करते है। विवाह भी हो जाता है घर का जिम्मेदारी भी बढ़ जाता है घर परिवार चलाने एवं जीवन की सारी गतिविधियां पैसों पर आधारित है तो पैसा कमाना भी बहुत जरूरी है। सफल जीवन व्यतीत करने के लिए सिर्फ एक ही उद्देश्य नहीं रखना चाहिए कि पैसा कमाना उसके साथ साथ जीवन को सफल एवं आदर्श परिवार के लिए और भी बिंदुओं की जरूरत है लेकिन अक्सर देखा गया है और बिंदुओं को छोड़कर के सिर्फ एक ही ड्रीम बना लेते हैं पैसा कमाना। अगर इस तरह का सोच अगर हम रखते हैं तो और बिंदु से हम भटक जाते हैं। जिससे आगे चलकर के हमारे परिवार बच्चे कुछ चीजों से वंचित हो जाते हैं जिसका परिणाम बहुत बुरा भी हो जाता है बच्चों के लिए भी और मां-बाप के लिए भी। अगर हम पैसा कमाने के साथ-साथ सोचते हैं कि हमारा परिवार और बच्चे आदर्श हो तो हमें निम्न बातों को ध्यान देना होगा और उसको अपने आचरण में उतारना पड़ेगा तभी हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे बच्चे आदर्श एवं संस्कारित होंगे। जैसा हम बीज बोएंगे जैसा व्यवहार करेंगे जैसा आचरण करेंगे जिस तरह का माहौल देंगे उसी हिसाब से हमको परिणाम मिलेगा। हमारा लेख सत्य एवं मार्मिक है ध्यान देने योग्य है आगे हम चरित्र निर्माण पर कई बिंदुओं पर चर्चा करेंगे उसको पूरा पढ़ते हैं। और अम्ल करते हैं तो लाभकारी साबित हो सकता है।
बच्चा जब जन्म लेता तो मां-बाप के देखरेख मे बच्चे का बाल्यावस्था में संपूर्ण विकास होता है।शिक्षा स्वास्थ्य को देखते हुए बच्चा किशोरावस्था को भी प्राप्त कर लेता है और उसके बाद वैवाहिक जीवन को भी प्राप्त कर लेता है। शादी होने के बाद स्वाभाविक है की संतान की उत्पत्ति होना। एक नई पीढ़ी को जब हम जन्म देते हैं तो हमारा कर्तव्य बनता है कि बच्चे में आदर्श गुणों का होना-यह तभी संभव है जब पति पत्नी का विचार आदर्श एवं श्रेष्ठ होगा।
वैवाहिक जीवन कैसा हो
वैवाहिक जीवन के बाद कुछ चंद समय तक जीवन बहुत ही खुशहाल दिखता है और उसके बाद परिवार में समस्याएं आने शुरू हो जाते हैं ऐसा देखा गया है इससे निजात पाने के लिए हमें अपनी सोच को बदलना होगा। हम आदर्श होंगे तभी हमारे बच्चे आदर्श होंगे।
बुराइयों को दूर करें
जिस शब्द से दूसरों को कष्ट पहुंचे और अपने शरीर को नुकसान हो उससे दूर रहना अति आवश्यक है। हमें ऐसे शब्दों की जरूरत है जिससे दूसरों को सुनने में भी अच्छा लगे और अपने दिल को भी सुकून मिले। अपशब्द शब्दों का इस्तेमाल ना करें। जीवन में गांजा भांग चरस अफीम और शराब जैसे मादक पदार्थों का सेवन ना करें। यह हमारे बॉडी को नुकसान पहुंचाता है और दिमाग को सोचने समझने का क्षमता शून्य कर देता है। जिससे छोटी-छोटी गलतियों के साथ बड़ा अपराध भी हो जाता है। अश्लील हरकत से दूर रहना और सकारात्मक सोच के साथ जिंदगी जीना चाहिए तभी हम आने वाली नस्लों को अच्छा संस्कार दे पाएंगे।
आत्महत्या का कारण
छोटी-छोटी गलतियां, किसी के द्वारा ब्लैकमेल के शिकार बच्चे, बच्चियां एवं युवा, युवतियां हो जाते हैं और उसको छुपा लेते हैं किसी को बताते नहीं अगर बता दें तो उसका समाधान निश्चित है। सबसे बड़ी कमजोरी किसी को ना बताना उनके मानसिक तनाव का कारण बन जाता है, रात दिन तनावपूर्ण रहते हैं ऐसे व्यक्ति के ख्याल में हमेशा नकारात्मक बात आते रहते हैं। जो डिप्रेशन के दौर से गुजरते हैं, यह एक गंभीर मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति उदास रहता है, जिंदगी से हार कर व्यक्ति अपने जीवन को खत्म करने के बारे में सोचने लगता है, यही आत्महत्या का कारण बन जाता है।
कोई भी गलती हो छुपाए नहीं, हमेशा सकारात्मक दिशा में कार्य करें, अच्छा खाएं अच्छा बोले अच्छे आदत का प्रयोग करें स्वस्थ रहें मस्त रहें।
अच्छे आदत
मां का आचरण
एक बच्चे के लिए मां तो मां होती है। लेकिन बच्चे एवं बच्चियों के अच्छे संस्कार में मां बाप का भूमिका सबसे ज्यादा होता है खासकर बच्चियों के सभ्यता एवं आचरण, अच्छे संस्कार मां ही दे सकती है इसलिए मां के उत्तम एवं आदर्श चरित्र का होना बहुत ही जरूरी है मां के आचरण का छाप बेटियों पर पड़ता है।
पिता का आचरण
पिता का आचरण श्रेष्ठ एवं उत्तम होना चाहिए, तभी अपने बच्चों को अच्छा संस्कार दे पाएंगे,पिता का आचरण बच्चों में आता है क्योंकि उसी माहौल में बच्चे वही संस्कार सीखते हैं और वही संस्कार उनमें समाहित हो जाता है इसलिए अपने आदतों को अच्छा रखना जरूरी होता है। पिता अपने सारे अवगुणों को हटा कर, अच्छे विचारों एवं अच्छे आदतों को अपनाएं तो घर में अच्छे संस्कार दे सकते हैं। जब हम अच्छे रास्ते पर चलेंगे तभी हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे बच्चे अच्छे रास्ते पर चलेंगे।
आदतों को सुधारने के अलावा आपको और कुछ सुधारने की जरूरत नहीं
पति पत्नी आपस में मतभेद एवं विवादों से बचे, दिन की शुरुआत अच्छे विचार और सकारात्मक सोच रखते हुए कार्य को करें। सबसे पहले हमें अपने भाषा को मधुर शब्दों में अपने शब्दों का प्रयोग करें। अच्छी आदतें बनाओ, अच्छी आदतों से चरित्र बनता है। आदतें अच्छे हैं तो चरित्र अच्छा है आदतें बुरी है तो चरित्र बुरी है। 90% जो मेरा व्यवहार है, जो मेरा आदत है, Habitual action वही बोलते है, सोचते नहीं 10 % पर थोड़ा सोचते है। इसलिए हमें अच्छे आदत की जरूरत है। अच्छी आदतें मुश्किल से आती हैं। बुरी आदत आसानी से आती है। जब तक हम आदत को पकड़ते हैं। तब तक आदत हम को पकड़ लेती है इसलिए हम अपने दिन की शुरुआत अच्छी आदतों से करें। किसी भी व्यक्ति से गलती हो सकता है गलती करना पाप नहीं, गलती करके एहसास करने के बाद गलती दोहराते रहना पाप है। इसलिए ईमानदारी से अच्छे कर्म करें यही सबसे बड़ा धर्म है।
- आपस में मधुर संबंध हो।
- सबसे पहले पति पत्नी एक दूसरे पर पूर्ण विश्वास के साथ जीवन जीने का संकल्प लें।
- आपस में छल कपट न करे एक दूसरे को अपना हितेषी माने।
- आपस में अपने विचारों को शेयर करें और उस पर सहमति बना कर काम करें।
- हमेशा सकारात्मक सोच के साथ कार्य करें।
- अपने दिन की शुरुआत अच्छे आदतों एवं अच्छे विचारों से करें।
- कभी अपशब्द ना कहें, किसी को कष्ट देने वाली भाषा ना बोले।
- अपने जीवन साथी के साथ संवेदनशील रहे।
- अपने से बड़ों का आदर करें।
- संसार में प्रथम गुरु माता पिता उनका सम्मान के साथ आदर सहित व्यवहार करें। माता-पिता खुश रहेंगे तो आपका जीवन भी खुशहाल होगा।
- जब हमारा संस्कार एवं चरित्र अच्छा होगा तब हम अपने बच्चों का उत्तम संस्कार दे पाएंगे।
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बच्चों में उत्तम चरित्र कैसे लाएं ?
नवजात शिशु
नवजात शिशु का पालन पोषण उत्तम स्वास्थ्य की देखरेख बड़े ही अच्छे ढंग से मां बाप करते हैं। समय समय पर उनकी सारी सुख सुविधाओं पर ध्यान देते हैं बच्चे एक तरह से अपने नर्सरी के पौधे हैं उनका देख रेख उनका परवरिश जिस तरह से हम करेंगे। उस तरह से हमको परिणाम देखने को मिलेगा मां बाप एक माली की तरह अपने बच्चों के प्रति व्यवहार करते है। माली किस विचारधारा का है। बच्चे का उत्तम चरित्र उस पर निर्भर करता है। यह हमारा मानना है।
छोटे बच्चों में अच्छे आदत
बच्चों में अच्छे आदत तभी संभव है। बच्चे नटखट होते हैं, छोटी-छोटी गलतियां बहुत करते हैं। कुछ मां-बाप उन गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं कि बच्चा छोटा है। छोटे-छोटे गलती उनके आदत बन जाते है। बचपन का गलती उसके भविष्य पर असर पड़ेगा। बच्चा बड़ा होने पर अपनी गलतियों को सुधार नहीं सकता क्योंकि उसका आदत उसको मजबूर कर देता है। मां बाप को बचपन से ही बच्चों को अच्छी तालीम देनी चाहिए। आपका छोटा बच्चा गलती करता है तो उसको प्यार से समझाएं। जैसे-बच्चा कोई चीज नुकसान कर दिया या तोड़ दिया तो उसको मारे नहीं।
बच्चे को प्यार से समझाएं बाबू उसको तोड़ दिए यह नुकसान हो गया यह नुकसान किसका हुआ हमारा और आपका अब यह कहां से आएगा अगर हम इसको फिर खरीदेंगे तो पैसे देने पड़ेंगे। अगर यही पैसा हमारे पास रहता तो हम आपके लिए खिलौने और कलम आ जाते बताओ सही कह रहे हैं या गलत पापा आप सही कह रहे हैं दोबारा ऐसा गलती नहीं करेंगे। बच्चों को अच्छे संस्कार की तरफ जोड़ें धीरे-धीरे बच्चे में अच्छे आदत आ जाएंगे। कुछ मा बाप होते हैं बच्चा जरा सा गलती किया उसको एक झापड़ तुरंत दिए बच्चा तुरंत वहां से भागा कहीं जाकर खेलने लगा क्या संस्कार पाएगा क्या हम गलती किए कि नहीं किए किसका सजा पाए बच्चा किस सोच की तरफ गया ना बाप को पता ना बच्चे को संस्कार ऐसे नहीं आएगा। बच्चा पैदा करना बहादुरी नहीं है। बच्चे में अच्छे संस्कार देना बहादुरी है। बच्चे में अच्छे संस्कार घर के माहौल से आता है। बच्चों में सुबह शाम एक एक घंटा शिक्षा, स्वास्थ्य, ईमानदारी, सरलता, विनम्रता, बड़ों का आदर करना, आदि पूंजी निवेश करेंगे तो अच्छा परिणाम मिलेगा।
बच्चे को खिलौना ना दिया जाए,
तो वह कुछ समय तक रोएगा,
लेकिन संस्कार ना दिए जाएं,
तो वह जीवन भर रोएगा,
बच्चों के प्रति जरूरी बातें
स्वास्थ्य
बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के प्रति मां बाप को भी जागरूक रहना पड़ेगा, क्योंकि बच्चे मां बाप पर ही आश्रित होते हैं। उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए हमें संतुलित आहार देने की जरूरत है। हरी साग सब्जी दूध एवं फाइबर युक्त खाद्य सामग्री भोजन का हिस्सा होना चाहिए। और उसके फायदे भी बताएं। धीरे धीरे बच्चे अपने भोजन का हिस्सा बना लेंगे। और उनका आदत बन जाएगा। जो भविष्य में उत्तम स्वास्थ्य में सहायक होगा।
मानसिक संतुलन– दिमाग को संतुलित एवं स्वस्थ रखने के लिए हमें योगा एवं कुछ ड्राई फूड का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। जैसे– बादाम, अखरोट, किशमिश, अंजीर आदि। मुख्य रूप से बादाम, चना भिगोकर के नियमित सेवन करना चाहिए। गाय का दूध, हरी साग सब्जी हमारे मानसिक संतुलन के साथ-साथ हमारे आंखों के लिए फायदेमंद है।
शिक्षा
बच्चों को बचपन से ही उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना चाहिए अपने घर एवं राष्ट्र निर्माण के लिए बच्चों को आगे बढ़ना है तो शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पिएगा वो दहाड़ेगा। बच्चों का बचपना शिक्षा से जुड़ गया और उनका बेस बन गया तो आगे चलकर के बच्चा उसी दिशा में अच्छा प्रदर्शन करेगा। बच्चों का दिल कोरा कागज है जैसा संस्कार देंगे वैसा संस्कार उनके अंदर देखने को मिलेगा।
- शिक्षा के बिना, मनुष्य पशु के समान है।
- इससे ही हम सारे अवगुणों को दूर कर सकते हैं।
- शिक्षा से सारे अंधकार मिट जाते हैं।
- शिक्षा के बिना मनुष्य सभा में उसी तरह सम्मान पाता है, जैसे हंसो के बीच में बगुला।
- शिक्षा से हम अंधविश्वास, पाखंड जैसे समाज में तमाम कुरीतियों को पीछे छोड़ कर ऊंचाइयों के शिखर तक जा सकते हैं।
उद्देश्य
मानव जीवन उद्देश्य का होना बहुत ही जरूरी है। कोई भी व्यक्ति बिना लक्ष्य के बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर सकता। हर मां बाप अपने बच्चे को उच्च शिक्षा देने का प्रयास करते हैं विद्यार्थी को अपने शिक्षा के दौरान अपने लक्ष्य को बना ले। तभी सफलता संभव है।
- जैसा तुम्हारा लक्ष होगा, वैसा ही तुम्हारा जीवन,
- लक्ष्य निर्धारित करते हैं, कि आप क्या बनने जा रहे हैं।
- जीवन में बिना लक्ष्य के, इंसान भटकता रहता है, कभी उसे मंजिल नहीं मिलती।
- जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं, वह अपने जीवन में सफल नहीं
- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।
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महापुरुषों के विचार
बच्चों को अपने महापुरुषों के बारे में यह बताना बहुत जरूरी है कि शिक्षा के बल पर आज वे लोग विश्व विख्यात है। हमें बच्चों से प्रश्न करना होगा कि हमें गांव तक सीमित रहना है या नाम रोशन करना है। आपका बच्चा आपसे कहेगा पापा नाम रोशन करना है। बेटा अगर नाम रोशन करना है तो हमें महापुरुषों के विचारों पर चलना होगा। हमें अपने महापुरुषों के विचार अपने बच्चों में शेयर करना उनके बारे में अवगत कराना यह हमारा कर्तव्य है। डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ० बी. आर. अंबेडकर के बारे में उनके जीवन संघर्षों के बारे में बताना बहुत ही जरूरी साबित होगा इन सब महापुरुषों का प्रेरणा आपके बच्चे एक नई ऊर्जा का संचार पैदा होगा।
बड़ों के प्रति शिष्टाचार
मां बाप को अपने बच्चों को अपने से बड़े को प्रणाम करने के लिए बचपन से ही प्रेरित करना चाहिए। अपने घर कोई भी मेहमान आए बच्चों को हौसले के साथ उनसे नमस्ते करना एवं उनसे पहचान कराना यह हमारा कर्तव्य बनता है बच्चों को एक दूसरे पर्सन के बारे में बताना कि यह अंकल है। अंकल से नमस्ते करो। तो आपका बच्चा आपके बातों को मानकर नमस्ते करेंगे। इस तरह के संस्कार जब हम देते रहेंगे तो एक दिन बच्चे में खुद का आदत बन जाएगा। और आगे आपको बताने की जरूरत नहीं पड़ेगा। बच्चों को अपने महापुरुषों के बारे में बताना और अच्छे अच्छे कोटेशन बच्चों में बांटते रहना चाहिए। जब हम बच्चों से जब भी समय मिले तो उनसे अच्छी-अच्छी बातों पर बात करनी चाहिए। जब हम उनसे बातें करते हैं तो उनसे कुछ गलतियां भी होंगे। तो हम उन गलतियों पर उनको समझाएंगे कि बेटा ऐसा नहीं ऐसा कहना चाहिए यह शब्द नहीं कहना चाहिए। ऐसे शब्द लोगों को बुरा लगता है ऐसे शब्द का इस्तेमाल जीवन में नहीं करना चाहिए।
बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान, ईमानदारी, का पाठ पढ़ाना, बच्चों में अच्छे-अच्छे सोच पर प्रकाश डालना चाहिए एवं अपने से कमजोर व्यक्ति को पहचानना उनका सम्मान करना तथा समय पर उनका मदद करना आदि जैसा व्यवहार करना चाहिए। जो व्यक्ति अपने से छोटो को प्यार करना बड़ों का सम्मान करना चाहिए। बड़े लोगों का सम्मान तो सब करते हैं लेकिन जो निम्न व्यक्ति का भी सम्मान करता हो वह सबसे लोकप्रिय होगा।जो व्यक्ति इन सब विचारों पर चलते हैं बच्चे उनके फ्रेंड हो जाते हैं। ऐसा संस्कार हम लोगों को देना चाहिए। लेकिन इस मॉडर्न युग में किसी के पास समय नहीं है कि अपने बच्चे से सुबह शाम कुछ अच्छी बातें करें। क्योंकि आज के समय में सबका सोच होता है पैसा कमाना पैसा कमाने के चक्कर में पूरा जीवन लगा देते हैं। और अच्छा संस्कार शिष्टाचार नहीं दे पाते हैं। उसी का परिणाम होता है मेरा बेटा बात ही नहीं मानता। उस पिता को सोचना चाहिए। हमने कितना बात अपने पिता का माना है। बात कड़वा है लेकिन सत्य है।
“हम चाहते हैं, कि हमारे बच्चे का चरित्र अच्छा हो।
तो हमें, अपने चरित्र को अच्छा रखना होगा।। “
ईमानदारी
बच्चों को ईमानदारी का परिभाषा बताना चाहिए। ईमानदार व्यक्ति का शिर कभी झुकता नहीं स्वाभिमान के साथ जिंदगी जीते हैं। ज्ञान की पुस्तक में इमानदारी पहला अध्याय है।
संगत
मां बाप का बच्चों के प्रति सबसे बड़ा रोल होता है। हमारा बच्चा किस संगत की तरफ जा रहा है। यह नजरिया हमको सीसी कैमरे की तरह करना होगा। अगर इसमें हम विफल होते हैं तो बच्चा बुरे संगत की तरफ जा सकता है। इस मॉडर्न युग में नशा एवं बीयर पीना अपना शान शौकत समझते है। हमें अच्छी संगत और बुरे संगत के बारे में बताते हुए उनको सकारात्मक दिशा की तरफ जोड़ना चाहिए।
खेलकूद
बच्चों के शारीरिक मानसिक बौद्धिक विकास के लिए खेलकूद बहुत ही जरूरी है। मां बाप को चाहिए शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद को प्राथमिकता दें एवं प्रोत्साहित करें। अपने हर कार्य शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलकूद आदि कार्य सुचारू रूप से प्रतिदिन निरंतर सफल रहे। इसके लिए हमें टाइम टेबल में सबका समय निर्धारित
“खेलकूद है स्वास्थ्य का मूल,
इनमें भाग लेकर बनाओ जीवन अनुकूल “
मेला एवं प्रदर्शनी
बच्चों को मेला एवं प्रदर्शनी तमाम दार्शनिक चीजों को दिखाना चाहिए। जैसे- मेला, बाजार, सभा, नाटक, किसी भी संस्था का वार्षिकोत्सव, अच्छे शहर, प्रदर्शनी एवं ऐतिहासिक स्थानों का भ्रमण कराते रहना चाहिए और उसके लिए बच्चों को प्रेरित करना चाहिए। से बच्चों को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
✍️यह लेख पाठकों के लिए लिखा गया है । क्योंकि समाज में बहुत से कुरीतियां फैला हुआ है। वैवाहिक जीवन से लेकर बच्चों के अच्छे संस्कार के बारे में लिखा गया है। हम आशा और विश्वास करते हैं, की आपको जरूर अच्छा दिशा मिल सकता है। कृपया कमेंट करें।
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