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बच्चों के प्रति अभिभावक के कर्तव्य | Liabilities of Parents and Childrens

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    अपने बच्चों के प्रति मां बाप बहुत प्रेम करते हैं। नवजात शिशु का पालन पोषण एवं घर के आदर्श संस्कार व व्यवहार से बच्चों के चरित्र पर पूरा प्रभाव पड़ता है। जैसा हमारा आचरण होगा उसी तरह बच्चों का आचरण होगा क्योंकि बच्चे बड़ों का नकल करते हैं इसलिए घर के परिवारों का उत्तम चरित्र का होना बहुत ही जरूरी है। जब बच्चे घर से नर्सरी क्लास से पढ़ाई शुरू करते हैं पांचवी क्लास तक अभिभावक अपने बच्चों के प्रति बहुत ही जिम्मेदारी से बच्चों पर नजर रखते हैं। (अभिभावक एवं बच्चों के कर्तव्य)

    घर परिवार में खुशियों का अमन चैन हो इसके लिए उत्तम स्वभाव एवं पैसों का जरूरत पड़ता है। बच्चे छठी क्लास में पढ़ने लगे तो मां-बाप का ध्यान अपने आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए नौकरी एवं बिजनेस के तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर देते हैं और बच्चों की दिनचर्या का मूल्यांकन करना, उसे सुबह शाम बातचीत करना इन सब चीजों के लिए अभिभावकों के पास समय नहीं होता है। यही कारण आगे चलकर हमारे बच्चे कुछ गलत संगत के शिकार हो जाते हैं जो हमको भुगतना पड़ता है। आज हम बच्चों के प्रति कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालेंगे शायद आप लोगों को अच्छा लगे हमारा अथक प्रयास रहा है कि बच्चों का बचपना आदर्श एवं संस्कारित हो बच्चे हमारे देश के कर्णधार हैं। इनका दिल कोरा कागज है जैसा हम छाप छोड़ेंगे वैसा ही बनेंगे।

    • अभिभावक एवं बच्चों के कर्तव्य
    • अभिभावक एवं बच्चों का संस्कार
    • अभिभावक का प्रेरणा बच्चों को उन्नति के शिखर तक पहुंचाता है

    प्रेरणा

    बच्चों को नैतिक शिक्षा एवं प्रेरणादायक कहानियां, महापुरुषों के विचारों से अवगत करते रहना चाहिए। प्रेरणा है क्या? प्रेरणा एक ऐसी शक्ति है, जो बहुत शक्तिशाली है। यह हमारे मन के संदेह को दूर करके हमको प्रेरित और गतिशील करती है। यह एक ऐसी ताकत है जो हमारी जिंदगी बदल सकती है। ऐसे विचार बच्चों में शेयर करें …

    • प्रेरक कहानियां सुनाएं।
    • महापुरुषों के विचारों से अवगत करें।
    • वीर रस की कहानियां सुनाएं।
    • बच्चों को अपने जीवन का लक्ष्य का चुनाव कराएं उन्हीं की जुबानी।
    • बच्चों से शिक्षा स्वास्थ्य का मूल्यांकन करते रहे नजरअंदाज ना करें।
    • बच्चों को बुराइयों से दूर रखें।
    • अनुशासन ही देश को महान बनाता है।

    बच्चों का संगत

    बुरी संगत उस कोयले की तरह है,जो गरम हो तो हाथ जला देती है,और ठंडा हो तो काला कर देती हैं। 
अभिभावक एवं बच्चों के कर्तव्य

    अभिभावक अपने बच्चों को नजर रखें कि हमारा बच्चा किस संगत संस्कार के बच्चों के साथ उठना बैठना,खेलना कूदना,पढ़ना लिखना कर रहा है। अगर अच्छे बच्चों के साथ रह रहा है तो ठीक है। अगर आपको लग रहा है कि गलत बच्चों के साथ रह रहा है-तो उस पर तुरंत अंकुश लगाए और अच्छा प्रेरणा देकर के अच्छे लोगों के साथ रहने का गुण सिखाए। इन सब बातों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। छोटी छोटी गलती आगे चलकर बहुत बड़ा कष्टदायक हो सकता है।

    अभिभावक एवं बच्चों के कर्तव्य से सफलता

    • हमेशा सच बोलना चाहिए।
    • रेगुलर एवं समयबद्ध होना चाहिए।
    • चरित्र यशस्वी व्यक्ति का ताज होता है।
    • निष्ठा सबसे अच्छा गुण है।
    • ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।
    • अच्छे लोगों के संगत में रहो।
    • दया (चरित्र) इंसान का आभूषण है।
    • अपना आपा कभी नहीं खोना चाहिए।
    • अपने अहंकार पर प्रश्न करना चाहिए।
    • अपना दीपक स्वयं बनो।

    नोट-यह लेख (अभिभावक एवं बच्चों के कर्तव्य) लिखने का मतलब है कि कहीं हमारा बच्चा बुरे संगत की ओर तो नहीं जा रहा है।अभिभावक अपने बच्चों के ऊपर नजर बनाए रखे नजरअंदाज ना करें, छोटी गलती बड़ी गलती का कारण हो सकता है। यह पोस्ट हमारे द्वारा लिखी गई है । हम आस और विश्वास करते है । आप सब को अच्छा लगा होगा ,कृपया कमेन्ट करके हमे सुझाव दे ।

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