Scientific Cultivation of Onion – प्याज की वैज्ञानिक खेती

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प्याज की खेती (Onion farming)

भारत में प्याज की खेती बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्याज की खेती मुख्यतः बीज द्वारा नर्सरी तैयार किया जाता है। दूसरी विधि बीज को बुवाई करके भी फसल तैयार किया जाता है। विश्व में भारत प्याज के क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है। प्याज की खेती मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा एवं उड़ीसा में उगाई जाती है।

उन्नत किस्म के बीज

किस्म के
नाम
बुवाई का
समय
रोपाई का
समय
उपज
कु./हे.
खरीफ: एग्रीफाउंड डार्क रेड, बसवंत 780, एन -53गठ्ठियो के लिए फरवरी पौध के लिए जूनअगस्त प्रथम पखावर200-250
रबी: एग्रीफाउंड लाइट रेड, कल्याणपुर रेड, पूसा रेड, नासिक रेडमध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तकबुवाई के 6-8 सप्ताह बाद300-350
Onion farming
Onion farming

खेत का चयन

प्याज की फसल उगाने के लिए मृदा हल्की दोमट मिट्टी से लेकर भारी दोमट वाली मृदा में उगाया जा सकता है। खेत में सड़ी वाली गोबर की खाद एवं समतल जल निकासी वाले खेत में प्याज की फसल उगाई जाती है रोपाई से पहले खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लिया जाता है और पाटा चलाकर जमीन समतल कर दिया जाता है।

खाद एवं उर्वरक

प्याज का पैदावार दोगुना करने के लिए अंतिम जुताई में गोबर की खाद सड़ी हुई अंतिम जुताई में पर्याप्त मात्रा में डाल देना चाहिए। रोपाई के समय 200 किलोग्राम किसान खाद या 100 किलोग्राम यूरिया 250 से 300 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 से 120 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से डाल देना चाहिए। 100 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर बुवाई के 4 सप्ताह बाद खेत में समान रूप से बुवाई कर देना चाहिए।

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पौधे तैयार करना

प्याज के बीज को समतल क्यारियों में बोया जाता है क्यारियों की लंबाई चौड़ाई अपनी सुविधा अनुसार रखते हैं 3 मीटर लंबी क्यारी सुविधा जनक रहता है। एक हेक्टेयर की रोपाई के लिए80 से100 क्यारिया (3.0×0.06 मी.) पर्याप्त होता है क्यारी के ऊपर घास फूस से ढक देना चाहिए अंकुरित होने के बाद में घास को हटा देना चाहिए। बीज अंकुरित होने के बाद में घास को हटा देना चाहिए सिंचाई करना हो तो फव्वारे से भी कर देना चाहिए। 7 से 8 तैयार हो जाते हैं शुरू में 4 सप्ताह तक पौधे की सिंचाई फव्वारे से कर सकते हैं।

सिंचाई

प्याज की सिंचाई आवश्यकतानुसार करते रहें। ठंडक में 10 से 15 दिन के अंतर पर गर्मियों में प्रति सप्ताह कुछ आवश्यक होती है मिट्टी अगर रहते ली है तो हर तीसरे दिन पर करनी पड़ सकती है।

खरपतवार नियंत्रण

प्याज के खेत में खरपतवार कि निराई एवं दवा का छिड़काव करके खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है।

रोग उपचार

झुलसा एवं पर्पल ब्लीच नामक रोग होने पर इंडोफिल एम-45 दवा का 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में 10 से 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करना चाहिए।

कीट उपचार

प्याज के फसल को कुछ हानिकारक कीट हमारे पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, कीटों से बचाने के लिए-थिरप्स नामांक किट लगने पर मेलाथियान या 375 मिली. मोनोक्रोटोफॉस को 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। घोल में ट्राई टोन 450 मिली अवश्य मिला ले। आवश्यकता पड़ने पर दवा का फिर से छिड़काव करते हैं।

प्याज खोदने के उपरांत 10 दिन पूर्व छिड़काव बंद कर देना चाहिए।

खुदाई

फसल जब सुख जाए खुदाई समय से कर ले, खरीफ की फसल तैयार होने के लगभग 3 माह लग जाते हैं क्योंकि प्याज की काठी नवंबर से दिसंबर में तैयार होती है जिस समय तापमान काफी कम होता है पौधे पूरी तरह से सूख नहीं पाते इसलिए जैसे प्याज की गांठ पूरी आकार में हो जाए उनका रंग लाल हो जाए तब करीब 10 से 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें जिससे प्याज की गांठ सुखी हो जाती है तथा उनका वृद्धि रुक जाता है।

पतियों को गर्दन से अलग कर देते हैं और 1 सप्ताह तक सूखा लेते हैं कटे सड़े खराब किस्म को निकाल देते हैं।

सुखाना एवं भंडारण

पत्तियों सहित प्याज को अच्छी तरह से सूखा लेते हैं उसके बाद भंडारण करने से नुकसान कम होता है।


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