पपीते की वैज्ञानिक खेती | Papaya farming in hindi

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पपीता की खेती से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं आजकल पपीता के बढ़ते हुए मांग को लेकर खेती करना बहुत ही लाभदायक है और अधिक धन अर्जित कर सकते हैं। आजकल बढ़ते डायबिटीज के मरीज को पपीता नाशपाती अमरूद खाने की सलाह दी जाती है। इन फलों का मांग अक्सर अधिक होता है तो लाभ भी अधिक होगा।

इस खेती को करने के लिए हम सब को आगे आना चाहिए अपने देश की स्वस्थ एवं समृद्ध है देश बनाना है। पपीता की उन्नत किस्म की प्रजातियां, Papaya farming. आज इस आर्टिकल में papita के बारे में पूरी जानकारी देने का प्रयास करते करते हैं। पपीता के उत्तम खेती के बारे में जानकारी।

Papaya farming
Papaya farming

पपीते की खेती की संपूर्ण जानकारी

भूमि चयन

पपीता की खेती करने के लिए दोमट तथा बलुई उत्तम मानी जाती है। खेती करने से पहले भूमि का चुनाव कर लेना चाहिए। जैसे जल निकासी का उचित प्रबंधन होना बहुत ही आवश्यक है। जिससे उपज बेहतर हो।

रोपण विधि

प्रॉपर करने से पहले अच्छी तरह से तैयार खेत में 2 × 2 मीटर की दूरी 50 × 50 × 50 सेंटीमीटर आकार की गड्ढे मई के महीने में खुद कर 10 से 15 दिन के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। ताकि गड्ढों में धूप अच्छी तरह से लग जाए तथा हानिकारक कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाएं। गड्ढों में आदि मिट्टी तथा आधी सड़ी हुई गोबर की खाद तथा फोटेट 10 जी 2.5 ग्राम को मिलाकर इस तरह से भरना चाहिए की गड्ढे जमीन से 10 15 सेंटीमीटर ऊंचा रहे। गड्ढे भरने के बाद सिंचाई कर देना चाहिए जिससे मिट्टी और पौधे बैठकर जमीन को पकड़ ले। 1 गड्ढे में थोड़ी थोड़ी दूरी पर दो तीन पौधे लगाने चाहिए। प्रतिदिन पौधों को हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए ताकि पौधा पूरी तरह से स्थापित हो जाए। जब फूल आ जाए तब 10% नर पौधों को छोड़कर बाकी को काट कर फेंक देना चाहिए।

खाद एवं उर्वरक

पपीता यह बहुत ही शीघ्र बढ़ने एवं फल देने वाला पौधा है। अधिक फल देने के कारण जमीन से बहुत से पोषक तत्व का ह्रास होता है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उचित उर्वरक देना बहुत ही आवश्यक होता है जैसे 250 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फास्फोरस तथा 250 ग्राम पोटाश देना बहुत ही आवश्यक है।

पपीते के उन्नत नस्ल के प्रजातियों के बारे मे जानकारी

पूसा नन्हा

इस प्रजाति के पौधे की ऊंचाई सेंटीमीटर होने के बाद से फल लगने शुरू हो जाते हैं। इस फल के आकार छोटे एवं मध्यम होते हैं। प्रति पौधे से 25 से 30 किलो ग्राम फल का उत्पादन हो जाते हैं।

पूसा जायंट

इस प्रजाति के पौधे 92 सेंटीमीटर के हो जाते हैं तब इसमें फल लगने शुरू हो जाते है। इनके फल बड़े आकार के होते हैं। एक पौधे से 30 से 35 किलोग्राम फल का उत्पादन होता है।

सूर्या

इस प्रजाति का फल का वजन 500 से 700 ग्राम के होते हैं। यह संकर इसमें में से एक है। प्रति पौधों से 55 से 56 किलोग्राम का उत्पादन हो जाता है।

पूसा डिलीशियस

इस पौधे की ऊंचाई 80 सेंटीमीटर होने पर पौधे में फल लगने शुरू हो जाते हैं। एक पौधे से 40 से 45 किलोग्राम फल का उत्पादन हो जाता है। यह प्रजाति का फल बहुत ही स्वादिष्ट होता है।

सिंचाई एवं निराई गुड़ाई

गर्मियों के मौसम में पपीता की सिंचाई 6 से 7 दिन के बाद पर तथा जड़ों में 10 से 12 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए। पानी चलाते समय या ध्यान देना चाहिए की पपीता के तने तक पानी ना पहुंचे इसके लिए पपीते के चारों तरफ मिट्टी से ऊंचा कर देना चाहिए।

उपज

पपीता में फल, पौधा रोपाई के लगभग 8 से 9 महीने बाद से आना शुरू हो जाते हैं। एक स्वस्थ पेड़ से औसतन 35 से 50 किलोग्राम फल प्राप्त हो जाते हैं।

कीट एवं रोग नियंत्रण

1. महू: यह गीत पौधों के रस चूसते हैं और पौधों को हानि पहुंचाते हैं। तथा विषाणु रोग फैलाने में मदद करते हैं। इसके रोकथाम के लिए डायमेथोएट 30 ई.सी 1.5 मिली. अथवा फास्फेमिडान 1/2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

2 . पदगलन: पिथिएम फ्यूजेरियम नामक बीमारी फफूंदी से होती है। रोग ग्रसित पौधों की ग्रोथ रुक जाती है। पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती और सर कर गिर जाती है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए दर्शित भाग को खर्च कर उस जगह पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 3 ग्राम अथवा ब्रासीकोल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी से मिलकर तैयार खोल के द्वारा तने के चारों तरफ की मिट्टी को गिला कर देना चाहिए।

3 . एंथ्रकनोज: इस बीमारी का प्रभाव पत्तियों तथा फलों पर होता है। पत्तियों तथा फलों का ग्रोथ रुक जाता है। तथा फलों के ऊपर भूरे रंग के धब्बे आने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी के रोकथाम के लिए ब्लाईटाक्स 3 ग्राम या डायथेन एम 45, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर किससे एक का छिड़काव करना चाहिए।


नोट- इस ✍️लेख में पपीते के खेती के बारे में जानकारी दी गई हैं एवं अच्छी प्रजाति का बीज कितना पैदावार दे सकता है तथा अच्छी खेती करने का उत्तम तरीका बताया गया है। और अधिक जानकारी के लिए अधिकृत वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।


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