काम लागत में अधिक मुनाफा- सूकर पालन
सूकर(सुअर) पालन व्यवसाय कम समय मे अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है। देसी नस्ल के सूकर/सुकरिया पहले पाली जाती थी, वैज्ञानिक दृष्टि से इस प्रजाति को बेहतर और लाभकारी बनाने के लिए क्रश बीडिंग के द्वारा इनकी नस्ल में पर्याप्त सुधार हुआ तथा आज के समय में देसी नस्ल की जगह क्रश बीड जाट के सूकरो के द्वारा ली गई है। अच्छी नस्ल की प्रजाति के सूकर ही 5 से 6 माह की आयु में 70 से 80 किलोग्राम भारी भरकम शारीरिक के अच्छी चुस्त-दुरुस्त एक ऐसा जीव सूकर है।
पौष्टिक आहार एवं कृषि जैव उत्पादन का उपयोग करके पौष्टिक प्रोटीन रहित मांस में परिवर्तित कर देता है। सूकर मांस के उत्पादन में प्रतिवर्ष लगातार वृद्धि हो रही है। इसके मांस बंद डिब्बे में विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार कर उपलब्ध कराए जाते हैं।यह विदेशी मुद्रा भी अर्जित होने में सहायक है।
सूकर व्यवसाय के उपरांत निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें
- आवासीय व्यवस्था बहुत ही सस्ती
- कम से कम लागत
- उत्तम नस्लों का चयन
- संतुलित पशु आहार
- उचित मूल्य (बाजारों की जानकारी)
- रोग नियंत्रण
- सुनियोजित प्रबंधन।
सूकर पालन करने की Requirements:
इस व्यवसाय से अच्छा लाभ लेना है तो कुछ बातों को ध्यान में रख कर कार्य करना होगा जैसे अच्छे आवास का निर्माण हो। गांव के परिवेश में सस्ते आवास का निर्माण होता है। गांवो में खुली जगह पर्याप्त रूप से उपलब्ध होती है।
आवास के लिए 7 से 40 वर्ग फीट एक पशु अपने विभिन्न आयु एवं शारीरिक भारी भरकम अनुरूप के लिए आवश्यक होता है। तथा इसके साथ अतिरिक्त मादा के लिए जच्चा बच्चा शेड, सूकर बड़ा का निर्माण एवं चारही के साथ किया जाता है। इनके आवास हवादार, रोशनी युक्त तथा फर्श पक्का हो जिससे सफाई भी किया जा सके। आवास के अंदर जल प्रबंधन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। एक पशु के लिए 5 से 20 लीटर पानी की आवश्यकता विभिन्न आयु एवं शारीरिक भार के लिए आवश्यकता होती है।
उत्तम नस्ल के पशुओं का चयन
सूकर के व्यवसाय मे अच्छी एवं उन्नत प्रजाति के नस्लों को रखा जाता है। जिससे अधिक लाभ प्राप्त हो। इनके क्रश बिल्डिंग द्वारा नस्ल के लार्ज व्हाइट यार्कशायर एवं मिडिल यार्कशायर, शंकर वर्ग तथा लैंड रेस के पशुओं का ही सूकर पालन व्यवसाय में ही किया जाता है।
उत्तम आहार का प्रबंधन
सूकर बाड़ों मे चरही के 10 इंच चौड़ी 20 इंच लंबी बड़े पशुओं के लिए निर्माण तथा 12 इंच से 14 इंच लंबी छोटे पशुओं के लिए प्रति पशु के लिए किया जाता है। तथा आहार को 250 ग्राम से 2.5 ग्राम से किलोग्राम पौष्टिक आहार पशु की दर से विभिन्न आयु भार को देखते हुए दिया जाता है। 500 ग्राम दाना दूध देने वाली सुकुरियो को प्रति पशु प्रतिदिन 60 दिन तक देना चाहिए। इसके अतिरिक्त बरसीम गोभी के पत्ते वेस्ट आलू मार्केट में हरी सब्जियों के पत्ते तथा रेस्टोरेंट के वेस्ट आहार आदि खाने में दिया जाता है ताकि स्वस्थ एवं मांस युक्त भारी भरकम शरीर हो।
सूकर के बच्चों को 30 से 60 दिन तक मां के दूध का सेवन कराया जाता है इसके बाद इनको मां से अलग रखा जाता है और शिशु आहार दिया जाता है। 50 से 100 ग्राम पशु से शुरू कर दी रे धीरे बढ़ाकर 500 ग्राम प्रति पशु उसके उपरांत एक किलोग्राम से डेढ़ किलोग्राम प्रति वयस्क होने की अवस्था तक दिया जाता है। इसके उपरांत 15 किलोग्राम शारीरिक भार वाले को शिशु शिशु आहार तथा 15 किलोग्राम से 45 किलोग्राम भार वाले सूकर को शारीरिक भारत तक राशन पौष्टिक आहार के रूप में भी दिया जाता है।
प्रजनन
सुकारिया व्यस्कता प्राप्त होते ही गर्म होती है अच्छे नर पशु के संसर्ग मे लाकर गर्भाधान कराना चाहिए। 114 से 118 दिनों तक पशु गर्भित होने का समय होता है। मादा पशुओं को अलग रखा जाए तो ज्यादा बेहतर होता है बच्चा देने के समय देखभाल जरूरी है। 30 से 60 दिन तक मां का दूध जरूरी है। 30 दिन के बाद से वीनिंग की जाती है शिशु आहार भी दिया जाता है।
सूकर के रोग नियंत्रण
इनमें संक्रामक रोग स्वाइन फीवर, खुरपका, गला घोटू, मुंहपका के पशु चिकित्सक से टीकाकरण किया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर दवा का देखभाल करना चाहिए। सूकर पालन व्यवसाय के लिए एक नर तथा 5 मादा सुकरियो की एक यूनिट अच्छी होती है निम्न मानक के अनुरूप लागत के अलावा अधिक मुनाफा आका गया है।
सूकर पालन के लिए बैंक से मिलता है लोन
सुअर व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा बैंकों और नाबार्ड द्वारा लोन भी दिया जाता है। जिससे व्यवसाय को करने में सहायता प्रदान किया जाता है। इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
- इस योजना का लाभ लेने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है।
- लोन लेने वाले व्यक्ति का उम्र 18 वर्ष हो।
- बिजनेस के लिए अपने नगर निगम अधिकारी द्वारा लिखित अनुमति हो।
- इसके बाड़े के लिए उचित स्थान सुनिश्चित होना आवश्यक है।
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