फूलगोभी की खेती कैसे करें? पूरी जानकारी | How to do Cauliflower Farming

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फूलगोभी की खेती कैसे करें

फूलगोभी की स्वादिष्ट सब्जी, पराठे आप जरूर खाए होंगे। यह भारत की प्रमुख सब्जी है। फूलगोभी में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-बी खनिज लवण प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। फूलगोभी अगेती फसल लगाकर कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है।आपको फूलगोभी की खेती को विस्तृत जानकारी देने का कोशिश करेंगे। जिससे आप फूलगोभी का अच्छा पैदावार बढ़ा सकें।आपको फूलगोभी की खेती को विस्तृत जानकारी देने का कोशिश करेंगे। जिससे आप फूलगोभी का अच्छा पैदावार बढ़ा सकें।

खेत का मिट्टी एवं तैयारी कैसा हो

फूलगोभी की खेती के लिए बलुई,दोमट मिट्टी सही होती है। खेती करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करा ले पीएचमान 7.0 कम होना चाहिए। जिस खेत में गोभी की फसल लगाएं, भूमि समतल और जल निकासी भूमि को चुने। खेत की तैयारी जुताई करके पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए।

फूलगोभी की खेती करने के समय

फूलगोभी की खेती सितंबर से अक्टूबर तक कर सकते हैं। अगेती खेती के लिए नर्सरी सितंबर में कर ले, पिछेती के लिए नवंबर तक कर सकते हैं।

उन्नत किस्मों के बीज

प्रजातियांबुवाई का समयअवधि दिन मेंबीज की मात्रा (ग्राम/ हे.)पैदावार (कु./हे)
अगेती किस्मेंमध्य जून से जुलाई प्रथम सप्ताह60─80600─700400
मध्यम किस्मेंमध्य अगस्त90─100200─300
पिछेती किस्मेंअक्टूबर100─120400─500200─300

अगेती, मध्य, पिछेती किस्मों के प्रजातियां

  • अगेती किस्म की प्रजातियां ─ अर्ली कुंवारी, पूसा दीपावली, अर्ली पटना, पंत गोभी-2, पंत गोभी- 3, पूसा कार्तिकी, पूसा सिंथेटिक, सेल-327, सेल 328 इत्यादि।
  • मध्य किस्म की प्रजातियां ─हिसार ─114, एस ─1, नरेंद्र गोभी ─1, पंत शुभ्रा, पूसा हाइब्रिड ─2 आदि।
  • पिछेती किस्म की प्रजातियां ─ पूसा सिंथेटिक, स्नोबॉल ─16, पूसा स्नोबॉल ─1, पूसा स्नोबॉल ─2, के ─1, दानिया, स्नोकिंग,आदि।

खाद एवं उर्वरक

आलू खेती के लिए खाद्य एवं उर्वरक समय समय से जुताई गुड़ाई से पैदावार तथा जमीन उपजाऊ होता है। गोभी की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर 300 कुंतल गोबर की खाद, 120 किलोग्राम नाइट्रोजन 60 किलोग्राम पोटाश तथा 60 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। गोबर की खाद रोपाई से पहले खेत में डालकर भली भात मिला देना चाहिए।

गोभी की नर्सरी कैसे तैयार करें

गोभी की नर्सरी के लिए 2.5×1.0 मीटर के 7 क्यारियों में लगभग 200 ग्राम बीज बोया जा सकता है। क्यारियों के 8 सेमी ऊपरी सतह में गोबर की सडी खाद प्रयाप्त मात्रा में मिलाना चाहिए।उसके बाद क्यारी को समतल बना लेना चाहिए। बीज 2.5 से 5.0 सेमी की कतारों में बोना चाहिए, 3/4 भाग सड़ी गोबर की खाद व 1/4 भाग मिट्टी मिलाकर बीज को मिला देना चाहिए। उसके बाद क्यारियों को हजारी से सिंचाई करनी चाहिए। क्यारियों को दिन में धूप से बचाने के लिए ढकना आवश्यक है।

पौधे से पौधे की दूरी

पौधों को नर्सरी से तैयार होने के बाद रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी अगेती किस्म के पौधे रोपाई करें। पिछेती किस्म की दूरी पंक्ति से पंक्ति 60 सेमी पौधों को रोपाई करें।

गोभी की सिंचाई

फूलगोभी अगेती किस्मों में 5 से 6 दिनों के अंदर सिंचाई करें। पिछेती किस्मों में सिंचाई 10 से 15 दिनों में करना चाहिए, पिछेती किस्मों में पहली सिंचाई पौधा रोपण के तुरंत बाद करना जरूरी है।

निराई गुड़ाई

फूलगोभी पौधा नर्सरी से निकालने के बाद खेत में रोपाई कर देते हैं पौधा जब जमीन से पकड़ ले उसके बाद उथली गुड़ाई करते रहना चाहिए। गुड़ाई करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। गहरी बुनाई नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे जड़ों के कटने का डर रहता है। पौधा लगने के 6 सप्ताह बाद मिट्टी पौधों पर चढ़ा देना जरूरी होता है।

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रोग नियंत्रण एवं उपचार

फूलगोभी की खेती में समय समय से पौधों को निगरानी रखना चाहिए कब हमारे फसल में रोग लग रहा है रोग लगते ही उसका उपचार कर देना चाहिए।

रोग निम्न प्रकार के होते हैं

पौध गलन

इस रोग में फफूद होता है। रोग के कारण बीज के अंकुरित होते ही पौधे संक्रमित हो जाते हैं अंकुर भूमि से बाहर नहीं निकलता।

उपचार

फॉर्मएल्डिहाइड 160 ─175 मिली को 2.5 लीटर पानी में मिलाकर प्रति 20 वर्ग मीटर भूमि के हिसाब से नर्सरी में भूमि सूचित करना चाहिए ताकि यह रोग ना लगे।

इसके अलावा 1 किलोग्राम वाविस्टीन व 2.0 से 2.5 किलोग्राम डाईथेन एम 45 जिंक मैग्नीज कार्बमेट या डाईथेन जेड 78 प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

उपचार कैसे करें

कोई भी फसल जब हम लगाएं उसकी देखरेख निराई गुड़ाई आदि करते रहे सुबह शाम खेत के चारों तरफ घूम कर खेत का जायजा लेना चाहिए। अगर किसी प्रकार का रोग हमारे फसल को नष्ट कर रहा है तो शीघ्र कृषि रक्षा इकाई एवं नजदीकी कृषि नियंत्रण दवा की दुकान से संपर्क कर उसका उपचार करें।

फूलगोभी की कटाई

फूलगोभी की खेती
फूलगोभी की खेती

फूलगोभी का फसल उस समय काटना चाहिए जब फूल उचित आकार के ठोस एवं अपनी उचित स्थिति में पहुंच गया हो। फूल को ऊपरी सिरे के काफी नीचे से काट आ जाए ताकि गाड़ी से माल सप्लाई करने पर फूल की सुरक्षा बनी रहे। फूलगोभी की कटाई प्रातः काल या सायंकाल में करना उचित है।


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