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मिर्च की खेती कब और कैसे करें | Chilli Farming in Hindi

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    मिर्च (chilli) का उपयोग पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थ के रूप में सेवन किया जाता है। जायद और खरीफ दोनों फसलों में मिर्च की खेती की जाती है। इस फसल के लिए जल निकासी वाली उपजाऊ दोमट या बलुई दोमट जमीन उपयुक्त होती है।

    • मिर्च अचार और मसाले व्यंजन की उपयोगी फसल है।

    उन्नत किस्म के प्रजातियां इस

    पंत सी-1

    इस किस्म की फलों की लंबाई 5 से 6 सेंटीमीटर लंबा और अधिक तीखापन होता है। हरी मिर्च की उपज 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होता है।

    एन.पी.46-ए चंचल

    प इस प्रजाति की फलों की लंबाई 7 से 9 सेंटीमीटर और सामान्य तीखापन होता है। 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से इसका पैदावार होता है।

    पूसा ज्वाला

    फलों की लंबाई 8 से 11 सेंटीमीटर होता है, सामान्य तीखापन होता है। इसका उपज 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार होता है।

    के-5462

    इस हरी मिर्च की लंबाई 6 सेंटीमीटर तथा सामान्य तीखापन और 20 से 22 सुखी उपज हरी मिर्च क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होता है।

    उपरोक्त प्रजातियों में पूसा ज्वाला सबसे पहले और पंत सी -1 बाद में फलने में आती है। लगभग दोनों में अंतर केवल 7 से 10 दिन का होता है। पंत सी -1 में विषाणु का प्रकोप बहुत कम होता है। तथा इनकी फलने की अवधि और प्रजातियों से अधिक है। अन्य प्रजातियों में विशाल को का प्रकोप अधिक होता है।

    पौधों की तैयारी एवं रोपाई

    पौधे की नर्सरी के लिए 1.5 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए आवश्यक होती नर्सरी के लिए मई से जुलाई तथा फरवरी-मार्च में बुवाई की जाती है।

    जब पौधे एक या डेढ़ महीने के हो जाते हैं, तो उसकी रोपाई जुलाई से सितंबर में की जाती है। रोपाई बीच का फासला की दूरी 60 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में 40 सेंटीमीटर पौधों की दूरी रखी जाती है। मार्च-अप्रैल में 45 सेंटीमीटर तथा कतारों में पौधों की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है।

    सिंचाई और निराई, गुड़ाई

    पौधों की रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई कर देना चाहिए। उसके बाद 8 से 10 दिन पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई करके गुड़ाई करें। रोपाई के दो-तीन दिन बाद पौधों के चारों तरफ मिट्टी चढ़ाना आवश्यक होता है जिससे पौधे गिरने से बच जाते हैं।

    फसल सुरक्षा

    कभी-कभी मिर्च की फसल में छोटे कीड़े (थिरप्स) पत्तियों का रस चूस लेते हैं। 10% मिश्रण बी.एस.सी धूल बुरकाव 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 0.9 प्रतिशत बी.एस.सी 400-500 लीटर हेक्टेयर की दर से बचाव के लिए छिड़काव करना चाहिए। कभी-कभी मिर्च की पंक्ति में लिखकर यानी सिकुड़न वाली बीमारी बहुत ही भयानक हो जाती है।

    उकठा रोग के आक्रमण से पूरा पौधा सूख जाता है। और अगर जब भी इस बीमारी का पता चले तो तुरंत उस पौधे को उखाड़ कर फेंक देना या फिर तुरंत जला देना चाहिए। और इसके अलावा जिस हिस्से में यह रोग लगा था उस हिस्से में कम से कम 5-6 साल तक मिर्च की फसल नहीं बुवाई करनी चाहिए। फिर उस रोग से बचाव के लिए रोग रोधी किस्म का पौधा या फसल लगाना चाहिए। आवश्यकतानुसार 0.03 प्रतिशत नुवान या 0.1 प्रतिशत मेटासिस्टाक्स वाह 0.2 प्रतिशत डाई एथेन एम 45 का छिड़काव करना चाहिए जिससे नुकसान का संभावना कम हो जाएगा

    फलियों की तुड़ाई

    मिर्च की फलियां दिसंबर जनवरी में पक जाती हैं। मिर्च की तुड़ाई तब करें जब पक कर लाल हो जाए।

    पैदावार

    मिर्च की खेती से प्रति हेक्टेयर लाल मिर्च की 40 से 80 क्विंटल और सूखने के बाद 8 से 10 क्विंटल पैदावार होती है।


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