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गुलाब की खेती | Full Detail of Rose cultivation in Hindi

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    Rose cultivation-गुलाब के फूल सभी फूलों मे से एक है। गुलाब की खेती देश व विदेश में निर्यात करने के लिए दोनों ही रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। गुलाब के पुष्प बहुत ही उपयोगी पुष्प है। शादी विवाह एवं सजावट में इसके पुष्प का प्रयोग किया जाता है। गुलाब जल, गुलकंद, गुलाब तेलआदि बनाए जाते हैं। इसके बढ़ती हुई मांग को देखते हुए इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

    गुलाब की खेती के लिए जलवायु भूमि

    गुलाब के पुष्प के लिए जलवायु न बहुत ठंडी न बहुत गर्मी चाहिए इसका मतलब दिन का तापमान 25 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस तथा रात में 12 से 14 डिग्री सेल्सियस बहुत ही उत्तम तापमान होता है।

    भूमि: गुलाब हेतु मिट्टी दोमट तथा ज्यादा कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिए। जिस का पी.एच.मान 5.3 से 6.5 तक होना चाहिए।

    गुलाब की खेती
    गुलाब की खेती

    गुलाब की प्रजातियां

    पाली एन्था

    रश्मि, नर्तकी, प्रीति स्वाति, अंजनी।

    संकर

    मिस्टर लिंकन, क्रिमसन ग्लोरी, लव, ऐफा केनडी, प्रेसिडेंट, राधा कृष्ण, फर्स्ट लव, अपोलो, पूसा सोनिया, गंगा, टाटा सेटनरी, आर्किड, सुपरस्टार, अमेरिकन हेरिटेज आदि।

    मिनी पेचर

    रेड फ्लश, ब्यूटी सीक्रेट, बेबी गोल्ड स्टार, पुश्कला, सिल्वर टिप्स आदि।

    लता गुलाब

    काकटेल, ब्लैक बॉय, मेरिकल नील, लैमार्क, पिंक मैराडोन आदि।

    पौध तैयार करने की विधि

    गुलाब के पौधे के ऊपर टी बाइंडिंग द्वारा इसके पौधों तैयार किया जाता है। गुलाब की कलम करने का महीना जून-जुलाई में क्यारियों में लगभग 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगा दिया जाता है और इनमें पत्तिया निकल जाते हैं। नवंबर दिसंबर में चाकू की सहायता से फूटा आई टहनियों पर से कांटे साफ कर दिए जाते हैं। जनवरी में इसकी किस्म के गुलाब से पहनी लेकर टी आकार कालिका निकालकर गुलाब के ऊपर लगाकर पॉलिथीन से कसकर के बाद ही देते हैं। इनमें तापमान के कारण फुटाव आ जाता है। जुलाई-अगस्त में इसकी रोपाई के लिए पौधा पूर्ण रुप (Rose cultivation) से तैयार हो जाता है।

    ले आउट और तैयारी कैसे करें

    गुलाब के पौधे को क्यारियों में लगाते समय क्यारियों के बीच की दूरी आधा मीटर अस्थान छोड़ देना चाहिए जिससे अन्य कृषि क्रियाओं में बाधा उत्पन्न ना होने पाए। क्यारियों को अप्रैल मई के महीने में लगभग 1 मीटर की गहराई तक गड्ढा खोद ले और 15 से 20 दिन तक उसे खुला छोड़ दें। गड्ढों में 30 सेंटीमीटर सूखी पत्तियों को डालकर और गोबर की सड़ी हुई खाद क्यारी में डाल दे उसके बाद को दी गई मिट्टी से भर दे। उसके बाद क्यारियों को पानी से भर दे। गुलाब के पौधों में दीमक से बचाव के लिए फलीडाल धूल या कार्बोफ्यूरान 3 जी. का प्रयोग करें। 10 से 15 दिन बाद ओट आने पर इन क्यारियों में कतार बनाते हुए पौधे से पौधे की दूरी 30×60 सेंटीमीटर रखे जाते हैं। इन दूरियों को और भी कम किया जा सकता है। अर्थात पौधे वाला इन की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा दो लाइन के पश्चात की दूरियां 60 सेंटीमीटर रखे जाते हैं। इस तरह करने से फूलों की डडिया लंबी तथा फूल काटने में आसान होते है।

    गुलाब के पौध की रोपाई

    पौधशाला से बड़े ही सावधानीपूर्वक पौधों को खोजें सितंबर अक्टूबर में पौधों की रोपाई करनी चाहिए। खोदे गए पिंड से लिपटी घास फूस हटा दें और गोफा वाला भाग रोपाई के समय जमीन की सतह से 15 सेंटीमीटर ऊंचाई पर रहे। पौधे से पौधे व लाइन से लाइन की दूरी 30×60 सेंटीमीटर दूरी पर रखी जाती है। पौधा लगाने के बाद सिंचाई कर देना चाहिए।

    सिंचाई

    गुलाब के के पौधों की सिंचाई उत्तम प्रबंध होना चाहिए। आवश्यकतानुसार गर्मी में 5 से 7 दिनों बाद और सर्दियों के मौसम में 10 से 12 दिनों बाद सिंचाई करना चाहिए।

    गुलाब के पौधों की कटाई छटाई

    Rose cultivation-गुलाब के पौधों की कटाई छाटाई के लिए उत्तर प्रदेश के मैदानी भागों के लिए अक्टूबर महीने का दूसरा सप्ताह उपयुक्त होता है। लेकिन कटाई कटाई के समय वर्षा हो। पौधों में 3 से 5 मुख्य कहानियों को 30 से 45 सेंटीमीटर लंबी रखकर काट दिए जाते हैं। जिस जगह से काटे जाए वहां पर आंख बाहर की तरफ हो, इन बातों का ध्यान हमेशा रहे। इसमें 45 अंश डिग्री पर आंख के 5 मीमी. ऊपर से काटे जाते है। जिससे आंखें खराब ना होने पाए। कटाई छटाई का कार्य करते समय चाकू और सिकेटियर से करना चाहिए। कटे हुए भागों पर कवक रोधी दवाओ जैसे कॉपर ऑक्सिक्लोराइड, कार्बेंडाजिम, बोर्ड मिश्रण या चौबटिया पेस्ट का लेप लगाना चाहिए।

    खाद एवं उर्वरक

    गुलाब के पौधों के विकास के लिए जाड़े के दिनों में 3 से 4 घंटे की धूप और रात्रि में ओस बहुत ही लाभप्रद होता है। अच्छे क्वालिटी का फूल लेने के लिए प्रति पौधों को 10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर सिंचाई करना बहुत ही आवश्यक होता है। गोबर की खाद 1 सप्ताह देने के बाद 200 ग्राम नीम की खली तथा रासायनिक खादो का मिश्रण 50 ग्राम प्रति पौधों में यूरिया सुपर फास्फेट तथा पोटेशियम सल्फेट 1 : 2 : 1 अनुपातों में हो तो फूल के उत्पादन में बढ़ोतरी होगा।

    फूलों की कटाई

    फूलों की कटाई के समय या ध्यान देना आवश्यक है, कि सफेद, लाल, गुलाबी रंग के फूल अधखुली पंखुड़ियों में जब ऊपरी पंखुड़ी के नीचे की ओर मुड़ना शुरू हो तब काटना ठीक होता है। फूलों को काटते समय एक दो तीन पत्ती टहानिया छोड़ देना चाहिए जिससे पौधों को वहां से फिर बढ़ाना प्रारंभ हो सके।

    फूलों की कटाई के बाद देखरेख

    गुलाब के फूल काटते समय एक बाल्टी में पानी अपने साथ रखें।जिसमें कम से कम 10 सेंटीमीटर पानी हो फूलों के काटने के बाद तुरंत बाद पानी में रख दे। फूलों की डंठल अच्छी तरह से पानी में भीग जाए। पानी में प्रीजरवेटिव्ज भी मिलते हैं। फूलों को कम से कम 3 घंटे पानी में रखने के बाद उनका उपयोग में लाएं। अगर फूलों को कुछ देर बाद ग्रेडिंग करनी हो तो फूलों को कोल्ड स्टोरेज में रख देना चाहिए। जिस का तापमान 1 डिग्री सेंटीग्रेड से 3 डिग्री सेंटीग्रेड होने चाहिए।

    गुलाब के प्रमुख रोग एवं उसके उपचार

    खर्रा रोग

    यह रोग फफूंदी जनित संक्रमण पत्तियों में, तनो तथा कलियों पर सफेद चूर्ण की तरह दिखाई देता है।

    उपचार

    1. पुष्प की कटाई-छटाई के समय सभी पतियों को काट दें जिसे संक्रमण का स्रोत नष्ट हो जाए।

    2. पौधों के रोग पर रोकथाम हेतु घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में या डाइनोंकैप, एक मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतर पर छिड़काव दवाओं को अदल बदल करे।

    सूखा रोग

    गुलाब के पौधे में इस रोग का प्रकोप वर्षा ऋतु के बाद से प्रारंभ होकर दिसंबर के लास्ट तक होता है। इनके कहानियों के ऊपर से शुरू होकर नीचे की ओर सुखना प्रारंभ कर देती है। तथा पौधे का तना काला पढ़कर पूरी तरह से सूख जाता है। Rose cultivation

    उपचार

    1. इस रोग में प्रभावित भाग को काट कर चला दिया जाता है। तथा कटे भाग पर चौबटिया का पेस्ट 4 भाग कपर कार्बोनेट+4 भाग रेडलेट+5 भाग अलसी का तेल का लेप कर देते हैं।

    2. कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% प्रति लीटर पानी में 3 ग्राम घोल बनाकर छिड़काव करें।

    कीट का प्रकोप

    माहू (एफिड)

    Rose cultivation-उपचार: इसके उपचार के लिए कीट दिखाई देते ही उसपर डाईमिथोएट 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में उपयुक्त कीटनाशकों का आते समय तथा पुष्प अवस्था में छिड़काव करना चाहिए। तेज हवा होने पर छिड़काव ना करें।

    2. शल्क कीट: इस रोग के प्रकोप पर गुलाब के पौधे पर बहुतायत में होता है। लाल और भूरे रंग के शल्क कीट मुलायम तने को ढक लेते हैं। और पौधे का रस चूस कर उन्हें कुरूप बना देते हैं। इनके नियंत्रण हेतु माहू में कीटनाशकों का प्रयोग करें।

    3. दीमक: गुलाब के भूमिगत भागो को खाते हैं। इसके कारण संपूर्ण पौधा सूख कर नष्ट हो जाता है।

    नियंत्रण: इसके प्रकोप होने पर तुरंत सिंचाई करना चाहिए। या फोरेट 10 जी 3:00 से 4:00 ग्राम या फली डाल 2% ढोलकी 10 से 15 ग्राम प्रत्येक पौधों केदार से गुणा करके हमको अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।


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