सफेद मूसली की खेती| Safed Musli ki Kheti in Hindi

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Safed Musli ki Khetiसफेद मूसली यह पौधा बहुवर्षी,तना रहित एवं शाकीय प्रकृति के होते हैं। इनके पत्तियां लगभग 30 सेंटीमीटर लंबी 2 सेंटीमीटर चौड़ी होती है। पत्तियां नर्म व चोंच नुकीली होती है। सफेद फूल लगभग 1 मीटर लंबे पुष्पवृत्त पर लगे होते हैं।

बरसात के मौसम में सफेद मूसली के पौधे जंगलों में अपने आप उगते है।Safed musali की उपयोगिता को देखते हुए पूरे देश में सफेद मूसली की खेती की जाती है। बाजार में इसके पाउडर और कैप्सूल बनाए जाते हैं। जो “हर्बल वियाग्रा”के नाम से बाजार में बहुत से सेक्स समस्याओं में ज्यादा फायदेमंद है।

सफेद मूसली खेती

प्रयोग किए जाने वाला अंग- कंदीय जड़े।

औषधीय गुण एवं प्रयोग

सफेद मूसली Safed Musli ki Kheti बहुत ही महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। यह शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के प्रयोग में आता है। दमा उल्टी उल्टी दस्त में भी उपयोगी होता है। सफेद मुसली के फायदे यह एक शक्तिवर्धक जड़ी बूटी है। इसका प्रयोग सेक्स पावर बढ़ाने के काम में आता है।

सफेद मूसली सिर्फ सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए तक सीमित ना होकर यह डायबिटीज, गठिया, शारीरिक शिथिलता आदि बीमारियों को दूर करने में भी उपयोगी होता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी दवा में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है।

भूमि एवं जलवायु

सफेद मूसली रेतीले एवं दोमट मिट्टी नर्म उत्तम जल निकासी वाले रूम में इसका अधिक उपज देती है। नम शुष्क जलवायु इनके लिए उपयुक्त होती है। इसके पैदावार के समय जमीन में नमी होने से इनके कंद मोटी हो जाती है और अधिक पैदावार होती है।

नर्सरी एवं रोपण

नर्सरी के समय सफेद मूसली बीजारोपण एवं रूट – स्टॉक वाली कलियों द्वारा उगाई जाती है।

बीजारोपण द्वारा

इसके बीज चपटे गोल किनारे वाले होते हैं। इसके 12 से 16 दिन में अंकुर निकल आते हैं। जून के पहले या दूसरे सप्ताह में बीजारोपण अच्छी तरह से तैयार की गई गोबर की खाद मिली हुई हो। जल्दी मानसून ना आने की स्थिति में अच्छी तरह पानी देकर मिट्टी को नम बनाए रखना चाहिए।

अंकुरित पौधों की कंद

मई महीने के मध्य में इसके कंद मोटी होनी शुरू हो जाती है। जंगली पौधों में वर्षा ऋतु में वर्षा के 4 से 6 दिन बाद ही यह जमीन के ऊपर दिखाई देने लगता है। खेतों में पौधे उगाने के लिए जंगल में अंकुर पौधों को वर्षा के 10 से 30 दिन के बीच एकत्रित करके लगाना चाहिए अथवा मई के मध्य में भूमि में मोटी कंदो के टुकड़ों या भंडारण में रखी गई कंदो को लगाना चाहिए।

1 सेंटीमीटर छोटे कंद के टुकड़े भी एक नया पेड़ उगाने में सक्षम होता है। कंद मई के दूसरे सप्ताह से अंकुरित होती है। अंकुरित कंद जून के पहले या दूसरे सप्ताह में लगाने चाहिए और इसके बाद सिंचाई कर देनी चाहिए।

अधिक उत्पादन के लिए 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची मेड़ों पर 30×15 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधारोपण करना चाहिए। एक हेक्टेयर भूमि के लिए लगभग 250 से 300 किलोग्राम कल की आवश्यकता होती है। सफेद मूसली को मक्का के खेत में भी लाइनों में लगाया जा सकता है।

खाद एवं उर्वरक

अच्छी पैदावार के लिए 10 से 15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर प्रयोग करनी चाहिए।

सिंचाई

फसल वर्षा के बाद बुवाई करनी चाहिए। यदि कंद के बोने या पौधारोपण के बाद वर्षा ना हो तो तो तुरंत सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके बाद जब भी भूमि में नमी कमी हो तो 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर देनी चाहिए।

निराई गुड़ाई

जमीन को भुरभुरा बनाए रखने के लिए और फसल को खरपतवार के बचाने के लिए एक दो निराई गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है।

पैदावार

पौधा रोपड़ के 90 दिन के बाद फसल तैयार हो जाती है। फसल तैयार होने पर इसकी पत्तियां पीली पड़ जाती है। लगभग 25 क्विंटल ताजा जड़े प्राप्त होती हैं। छिलाई और सूखने के बाद 6 से 8 क्विंटल रह जाती है।

लागत एवं लाभ

इस खेती में प्राथमिक लागत प्रति एकड़ 125000/प्रतिवर्ष इसका उत्पादन लागत प्रति एकड़ 300000/ तथा पैदावार 3.5 क्विंटल सूखी कंद प्रति एकड़ की दर उत्पादन होता है।

सफेद मुसली के फायदे एवं प्रयोग| Safed Musli Benefits in hindi

सफेद मूसली का प्रयोग शारीरिक शिक्षा एवं बहुत सी बीमारियों में लाभप्रद होता है। इसके सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार दवाओं को गुनगुने दूध के साथ ले सकते हैं।

  • सफेद मुसली पाउडर – इसका प्रयोग 1 से 2 ग्राम सुबह शाम सेवन कर सकते हैं।
  • सफेद मूसली पाक – आधा चम्मच सुबह शाम गुनगुने दूध के साथ ले।
  • सफेद मुसली कैप्सूल – एक से दो कैप्सूल सुबह शाम दूध के साथ आयुर्वेद चिकित्सक के सलाह से दवा लेना उचित है।

शुक्राणु समस्या में लाभप्रद | Safed Musli Benefits to Boost Sperm Quality in hindi

शुक्राणु दोस्त की समस्या कुछ लोगों में हो जाती है। और इसके कारण काफी परेशान रहते हैं। शुक्राणु की कमी पेशाब में जलन आदि रोग में सफेद मूसली के प्रयोग से लाभ पहुंचता है इसे 2 से 4 ग्राम मूसली के चूर्ण में समान मात्रा में शर्करा के साथ सेवन करने के साथ इस रोग से लाभ होता है।

वीर्य दोष Seman में 1 से 2 ग्राम चूर्ण समान मात्रा में मिश्री के साथ सेवन करने से वीर्य दोष ठीक होता है।

1 से 2 ग्राम चोर बराबर मिश्री के साथ खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं शिथिलता को दूर करता है। यौन शक्ति को बढ़ाता है।

मूत्र संबंधी समस्या में सफेद मूसली से लाभ | Safed Musli Benefits in Urinary Disease in hindi

कुछ लोगों में पेशाब करते समय दर्द होता है इस रोग में मूसली बहुत फायदेमंद होता है। 1 से 2 ग्राम मूसली चूर्ण के सेवन से लाभ होता है।

लिकोरिया संबंधी समस्या में सफेद मूसली फायदेमंद | Safed Musli Leucorrhoea in hindi

लिकोरिया महिलाओं में होने वाली बीमारी है। इससे परेशान रोगी को सफेद मूसली कंद के पाउडर को 1 से 2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से लिकोरिया के रोग लाभ होता है। आयुर्वेद में इसे श्वेत प्रदर कहते हैं।

आर्थराइटिस में फायदेमंद |Benefits of Safed Musli in Arthritis

बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। देश में अधिकांश लोग अर्थराइटिस की समस्या से पीड़ित हैं। सफेद मूसली के सेवन से जोड़ों का दर्द और सूजन से छुटकारा मिल सकता है। इसका प्रयोग 1 से 2 ग्राम पाउडर गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से इस रोग से राहत मिलता है।
Safed Musli ki Kheti सफेद मूसली की खेती से किसनों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने के साथ-साथ देश के जनमानस को आर्वेदिक जड़ीबूटी देकर देश को स्वास्थ्य बनाने मे अच्छा योगदान रहा है।


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