Gooseberry Cultivation |आंवला की खेती की जानकारी

Rate this post

Gooseberry Cultivation-आज के समय में बढ़ती जनसंख्या एवं महंगाई के दौर में हर चीज का मांग बढ़ता जा रहा है। सभी खाद्य पदार्थों में आंवला एक ऐसा अमृत वरदान है। जो हमारे विटामिन सी एवं दवा, मुरब्बा, अचार आदि बहुत सी चीजों में आंवला का प्रयोग किया जाता है। जिस चीज का मांग जितना अधिक होता है। उसका उत्पादन करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। आंवले का बागवानी लगाके लाखों में इनकम कर सकते हैं।

#अमला की खेती, इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी प्राप्त होता है।# Amla Cultivation. अमला की पूरी जानकारी प्राप्त करें। और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएं।

#आंवला की खेती कैसे करें, इसके बागवानी से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। # Gooseberry Cultivation.

Gooseberry Cultivation Harvest

भूमि चयन

आंवले की खेती के लिए बलुई भूमि के अतिरिक्त सभी प्रकार के भूमियों पर आंवला की खेती की जा सकती है। साधारण भूमि से लेकर ऊसर भूमि जिसका पी. एच मान 9 तक हो उनमें भी आंवला की खेती किया जा सकता है

आंवला के गड्ढों की खुदाई एवं भराई

अगर ऊसर भूमि में आंवला की खेती करनी है तो मई-जून में 8:00 से 10:00 मीटर की दूरी पर एक से सवा मीटर आकार के गड्ढे खोद लेने चाहिए। यदि कड़ी परत एवं कंकड़ीली गीता हो तो उसे खोदकर अलग कर लेना चाहिए अन्यथा बाद में पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ जाता है।
बरसात के मौसम में इन गड्ढों में पानी भर देना चाहिए प्रत्येक गड्ढे में 50 से 60 किलोग्राम गोबर की खाद 15 से 20 किलोग्राम बालू 8 से 10 किलोग्राम जिप्सम तथा 6 किलोग्राम पाइराइट मिला देना चाहिए। 50 से 100 ग्राम क्लोरोपेयरीफास धूल भी भर दिया जाता है। भराई के 15 से 20 दिन के बाद इसका अभिक्रिया समाप्त हो जाता है। और पौधों को रोपण किया जा सकता है।

सामान्य भूमि में प्रत्येक गड्ढों में 45 से 50 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद 100 ग्राम नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश का मिश्रण 15:15 देना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त ढाई सौ से 500 ग्राम नीम की खली तथा 100 से 150 ग्राम क्लोरोपेयरीफास डस्ट मिलाना आवश्यक है। गड्ढे की जमीन से 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंचाई तक भर देना चाहिए।

How to do Gooseberry Cultivation ।आंवला की व्यवसायिक प्रजातियां

व्यवसायिक आंवला की प्रजातियों में चकैया, कृष्णा, कंचन, फ्रांसिस, नरेंद्र आंवला-4,नरेंद्र आंवला -7, एवं गंगा बनारसी उल्लेखनीय है, व्यवसायिक प्रजातियां चकैया एवं फ्रांसिस से काफी लाभ होता है।

खाद एवं उर्वरक शक्ति

आंवला के बागवानी में प्रतिवर्ष 100 ग्राम नाइट्रोजन, 75 ग्राम पोटाश तथा60 ग्राम फास्फोरस प्रतिवर्ष पेड़ की दर से देना चाहिए। खाद एवं उर्वरक की यह मात्रा 10 वर्ष तक बढ़ाते रहना चाहिए। ऊसर जमीन में जस्ते की कमी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। 2 से 3 वर्ष उर्वरकों के साथ जिंक सल्फेट के साथ फालने वाले पौधों मे 250 से 500 ग्राम मात्रा में देना चाहिए।

Gooseberry Cultivation- आंवला की सिंचाई

इसके नवरोपित पौधशाला में गर्मी के मौसम में 10 दिन के अंतराल पर पेड़ों की सिंचाई कर देना चाहिए। और फल वाले बागों में जून माह में एक बार पानी देना आवश्यक होता है। फूल आते समय बागों में किसी तरह की पानी नहीं दिया जाता है समय-समय पर थालो की गुड़ाई एवं खरपतवार निकाल देना चाहिए।

आंवला से अधिक उत्पादन और बड़े फल

आंवला की अधिक उपज के लिए हमें पूरी तरह से बागवानी की देखरेख उसकी समुचित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • आंवला की बागवानी को समुचित पोषण दें।
  • पेड़ों की उचित देखरेख करें।
  • सितंबर के महीने में 0.5% यूरिया,0.5 प्रतिशत पोटेशियम सल्फेट तथा 0.4 प्रतिशत एग्रोमीन का छिड़काव करें।
  • फलों के मौसम में कृषि रक्षा इकाई के अनुसार पेड़ों फल के अनुसार दवा का छिड़काव करना चाहिए।
  • बोरान तत्व की कमी के लिए 50 ग्राम बोरेक्स प्रति पेड़ पर देना आवश्यक होता है।

Read Also👇:

Leave a Comment